व्यवस्था बदहाल: प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भटक रहे विद्यार्थी

रेवाडी: नौकरी तो दूर कॉलेज में प्रवेश के लिए भी विद्यार्थी बदहाल व्यवस्था का शिकार हो रहे हैं। 12 अगस्त से शुरू हो रही स्नातक कक्षाओं की प्रवेश प्रक्रिया के लिए 13 हजार से अधिक विद्यार्थियों को ग्राम सचिव व शहर में पटवारियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। सरपंच पद खाली होने के चलते ग्राम सचिव मिलते नहीं हैं, वहीं शहर में डीसी व तहसीलदार से मुश्किल पटवारी से तस्दीक कराना है।

बता दें जिले के 18 कॉलेजों की 9010 सीट के लिए 12 से 20 अगस्त तक आवेदन प्रक्रिया चलनी है। इसके अलावा आईजीयू में जल्द ही पीजी व यूजी कोर्स के लिए आवेदन किया जाना है, वही कृष्ण नगर स्थित भगत फूल सिंह विश्वविद्यालय रीजनल सेंटर में आवेदन प्रक्रिया चल रही है। कुल मिलाकर करीब 13 हजार सीट के लिए आवेदन के लिए सभी को रिहायशी प्रमाण पत्र बनवाना जरूरी है। इसके अलावा श्रेणियों के अनुसार जाति व आय प्रमाण पत्र भी बनवाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में सरपंचों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, ऐसे में ग्राम सचिव को तस्दीक करनी होती है। वहीं शहरी क्षेत्र में पटवारी व पार्षदों को इसकी तस्दीक करनी होती है।

ग्राम सचिव के पास चार से ज्यादा पंचायतों का कार्यभार
इस बार सात पंचायतें नई बनी हैं, अब पंचायतों की संख्या 358 से बढ़कर 365 हो गई हैं। लेकिन जिला में ग्राम सचिवों की संख्या महज 88 है। ऐसे में एक ग्राम सचिव के हिस्से में औसतन चार गांव आते हैं। काम का बोझ कहें या लापरवाही इसका जवाब मिलना जरूरी है। लेनिक इन सबसे इतर परेशान हजारों विद्यार्थियों के समय पर दस्तावेज बनने चाहिए, ताकि परेशान न होना पड़े। बता दें कि 2019 के बैच में आईएएस की परीक्षा पास करने वाले जिला के गांव निवासी ने भी सालों पहले इन्हीं दस्तावेजों के लिए चक्कर काटने की व्यथा बताई थी, लेकिन आज तक इसमें सुधार नहीं हो पाया है।
तहसील में महज एक ऑपरेटर
कॉलेजों में आवेदन प्रक्रिया शुरू होने के चलते सभी सीएससी सेंटर पर आवेदनों की संख्या भी चार गुणा तक बढ़ गई है। एक सीएससी सेंटर चालक के अनुसार पहले दिन में 4-5 आवेदन आते थे, लेकिन अब बढ़कर 20 तक पहुंच गई हैं। वहीं जानकारी के सीएससी सेंटर से फाइल तहसील पहुंचती है, इसको यहां के कर्मचारी की ओर से अप्रूव किया जाता है। यहां पर फाइलों को अप्रूव करने के लिए एक ही कर्मचारी है, ऐसे में पहले जो फाइल अप्रूव होने में दो दिन लगते थे उसमें अब चार दिन लग रहे हैं। ऐसे में तहसील में ऑपरेटर की संख्या बढ़ाए जाने की जरूरत है।
सरकार की ओर एक छत के नीचे सभी सरकारी सुविधाएं देने का दावा किया जाता है, लेकिन शहर के अलग-अलग होने में पटवारी बैठे हुए हैं। हालात ऐसे हैं कि गली-कूचों में पटवारियों ने अपने दफ्तर बनाए हुए हैं। वैसे तो पटवारियों पर काम का दवाब भी ज्यादा रहता है, लेकिन कॉलेजों में आवेदन के समय कुुछ अलग व्यवस्था की जानी जरूरी है। ताकि शहर में कोने-कोन में भटक रहे विद्यार्थियों का एक स्थान पर सुविधाएं मिल सके। विद्यार्थियों का कहना है कि शहर में डीसी व तहसीलदार से तस्दीक कराना आसान है, लेकिन पटवारियों से मिलना मुश्किल है।

ग्राम सचिवों की संख्या कम है, सरपंचों का कार्यकाल खत्म होने के चलते अब पूर्व सरपंचों को तस्दीक करने के लिए कहा जाएगा। पूर्व सरपंचों की ओर से की गई तस्दीक भी मान्य रहेगी। ऐसे में विद्यार्थी गांव के पूर्व सरपंच से भी तस्दीक करा सकते हैं।
-एचपी बंसल, डीडीपीओ, रेवाड़ी।

 

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