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Air Pollution: सोनिपत देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर, AQI 329, हवा इतनी खराब कि सांस लेना मुश्किल

On: December 1, 2025 5:16 PM
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Air Pollution: सोनिपत देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर, AQI 329, हवा इतनी खराब कि सांस लेना मुश्किल

Air Pollution: सोनीपत रविवार को देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया, पहले स्थान पर कोयंबटूर है। इस दिन यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 329 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। IQ Air के अनुसार जिले का AQI 182 रहा। नवंबर में शहर का AQI 20 दिन तक 300 के पार रहा, जिससे हवा अत्यंत प्रदूषित हो गई। इससे पहले दिवाली के बाद भी सोनीपत का वायु गुणवत्ता सूचकांक देश में सबसे खराब रहा था, लेकिन वह स्थिति केवल एक दिन ही बनी रही।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लगातार कोशिशों के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। ग्राफ-3 श्रेणी की निर्माण गतिविधियों पर लगी पाबंदियों को हटाने, निर्माण स्थलों और सड़कों पर धूल, अपर्याप्त पानी छिड़काव, शहर में कचरा जलाना और वाहनों व फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं प्रदूषण बढ़ाने में मुख्य कारण हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, शहर में धूल का जमाव, औद्योगिक गतिविधियाँ, ठंड के कारण कम वायु दाब और अनियंत्रित वाहनों का धुआं इस समस्या को और बढ़ा रहा है।

सोनीपत और आसपास के क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता

10 नवंबर को जिले का AQI 300 के पार गया और अगले दिन 381 तक पहुंच गया। AQI लगातार 15 दिन 300 से ऊपर रहा। 25 नवंबर को यह 300 से नीचे गिरा, जिसके बाद दो दिन हवा की गुणवत्ता में सुधार देखा गया। हालांकि, 27 नवंबर को जिला प्रशासन ने ग्राफ-3 और निजी निर्माण पर लगी पाबंदियों को हटा दिया। इसके बाद हवा की गुणवत्ता फिर बिगड़ गई और AQI पुनः 300 से ऊपर चला गया। विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह दी है कि इस मौसम में अनावश्यक बाहर निकलने से बचें, मास्क पहनें और सुबह-शाम के समय विशेष सावधानी बरतें।

प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम जरूरी

सोनीपत में औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण गतिविधियों से धूल, वाहनों का धुआं, मौसम की ठंड और शादी के मौसम में पटाखों का उपयोग हवा को प्रदूषित करने में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। कोयंबटूर में AQI 346, बहादुरगढ़ में 322, मंडी गोबिंदगढ़ में 317 और दिल्ली में 276 दर्ज किया गया। GRAP-3 प्रतिबंध हटाने के बाद प्रदूषण में तेज वृद्धि चिंता का विषय है। इसलिए निर्माण परियोजनाओं की निगरानी, औद्योगिक इकाइयों का निरीक्षण, पानी छिड़काव और वाहनों के उत्सर्जन पर कार्रवाई जैसी सख्त व्यवस्थाएँ फिर लागू की जा सकती हैं। इस दिशा में प्रशासन की सक्रियता और नागरिकों की सावधानी ही प्रदूषण कम करने में सहायक होगी।

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