Air Pollution: रेवाड़ी जिले के औद्योगिक शहर धारूहेड़ा में वायु प्रदूषण इस सीजन में अब तक के सबसे खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रविवार की रिपोर्ट के अनुसार, शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 434 दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर श्रेणी’ में आता है। यह इस मौसम का सबसे ऊंचा स्तर है।Air Pollution
दीपावली के दिन जहां प्रदूषण का स्तर 412 और 31 अक्तूबर को 406 था, वहीं अब 434 तक पहुंचना शहरवासियों के लिए गंभीर स्वास्थ्य संकट का संकेत है। क्षेत्र में चल रहे लगातार निर्माण कार्य, औद्योगिक गतिविधियां और सड़कों से उड़ने वाली धूल इस प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। निर्माण सामग्री खुले में पड़ी रहने और सड़कों पर मशीनों की बजाय मैनुअल सफाई किए जाने से धूलकण हवा में घुल रहे हैं।Air Pollution
साफ हवा वाले शहरों की संख्या घटी
CREA की रिपोर्ट के मुताबिक, “सितंबर की तुलना में अक्टूबर में साफ हवा वाले शहरों की संख्या में भारी गिरावट आई. ‘अच्छी’ श्रेणी (0–30 μg/m³) वाले शहर 179 से घटकर 68 रह गए, जबकि ‘संतोषजनक’ श्रेणी (31–60 μg/m³) में आने वाले शहर 52 से बढ़कर 144 हो गए. ‘मध्यम’ (61–90 μg/m³) श्रेणी के शहरों की संख्या 4 से बढ़कर 27 हो गई, जबकि 9 शहर ‘खराब’ (91–120 μg/m³) श्रेणी में और एक शहर ‘बहुत खराब’ (121–250 μg/m³) श्रेणी में पहुंच गया।
कौन-कौन से शहर सबसे प्रदूषित
CREA की रिपोर्ट में कहा गया है कि धारुहेड़ा के बाद रोहतक, गाजियाबाद, नोएडा, बल्लभगढ़, दिल्ली, भिवाड़ी, ग्रेटर नोएडा, हापुड़ और गुरुग्राम जैसे शहर सबसे प्रदूषित रहे. सरकारी आंकड़ों के विश्लेषण में पाया गया कि देशभर में वायु प्रदूषण में तेज बढ़ोतरी हुई है, विशेष रूप से इंडो-गंगा के मैदानी इलाकों (IGP) और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में स्थिति बेहद खराब रही
डॉक्टरों का कहना है कि इस स्तर पर हवा में सांस लेना बेहद खतरनाक है, खासकर दमा, एलर्जी और फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए। पिछले कुछ दिनों में अस्पतालों में सांस लेने में दिक्कत, गले में खराश, खांसी और आंखों में जलन की शिकायत वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
लोगों ने प्रशासन से सड़कों पर नियमित वाटर स्प्रिंकलिंग, निर्माण कार्यों पर नियंत्रण और प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। हालांकि, अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रशासन ने जल्द सख्त कदम नहीं उठाए, तो हालात और भयावह हो सकते हैं।
फिलहाल धारूहेड़ा में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का दूसरा चरण लागू है। नियमों के अनुसार, जब AQI 401 से 450 के बीच होता है, तो हवा ‘गंभीर’ श्रेणी में आती है और तीसरा चरण लागू होना चाहिए। बावजूद इसके, हालात में कोई सुधार नहीं देखा जा रहा है। सर्दी के मौसम में तापमान गिरने और हवा की गति कम होने से प्रदूषक तत्व नीचे जम जाते हैं, जिससे आने वाले दिनों में स्थिति और खराब होने की आशंका है।Air Pollution
















