Haryana : देश में अलग अलग लोग अपनी अपनी मिठाइयो लेकर चर्चा में है। पंसद के चलते लोग दूर से दूर खरीद दारी करने आते है। Haryana के जींद जिले के एग्राह गांव की सुनीता की मशरूम से बनी मिठाइयों कुछ ऐसा खा क्या है जो विदेशो में उसकी मांग है।
विदेश मे बनाई पहचान: मौजूदा समय में अंबाला के गांधी मैदान में मेले का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें गांव इगराह से सुनीता उनके पति अशोक और बेटा आए हैं। वह लोग मशरूम की मिठाई, मशरूम कैच और अन्य उत्पादों का स्वाद सभी को चखा रहे है।
आज के समय में सुनीता मशरूम की विभिन्न मिठाइयां बनाकर खूब नाम कमा रही हैं। उन्होंने अपनी पहचान विदेशों तक भी पहुंचाई है।
हिसार में किया सम्मातिन: सुनीता को प्रगतिशील महिला किसान के रूप में सोमवार को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार में सम्मानित भी किया गया।
2015 में किया था स्टार्टअप
सुनीता और उसके पति अशोक ने साल 2015 में सोचा कि क्यों ना मशरूम की मिठाइयां बनाई जाए। जिससे लोगों का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। इस तरह उन्होंने एक स्टार्टअप शुरू किया।
उन्होंने एच ए यू के एग्री बिजनेस एस इनक्यूबेशन सेंटर से भी ट्रेनिंग ली और आज 12 किस्म की मशरूम की मिठाईयां बनाते हैं। जिसमें मशरूम जलेबी, मशरूम के लड्डू, मशरूम की बर्फी, कलाकंद, रसगुल्ले इत्यादि शामिल है।
यह सम्मान उन्हें राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू के हाथों से दिया गया। वह Ambala के लोगों को मशरूम जलेबी चखाती नजर आई। ?बताया जा रहा है कि वह अपने काम के दम पर आज यहां तक पहुंची हैं।
यहां से शुरू हुई खेती
पहले सुनीता और उनके पति अशोक ने साल 2010 में 250 वर्ग गज के घर में मशरूम की खेती करनी शुरू की। जब उन्हें इस चीज से अच्छा मुनाफा हुआ तो उसके बाद हरियाणा में करनाल और अब हिमाचल प्रदेश में भी वह मशरूम उगाते हैं।
यहां सब कुछ ठीक चल रहा था। उन्होंने देखा कि देश में प्रति व्यक्ति साल में सिर्फ 8 से 12 ग्राम मशरूम ही खाता है। जब इसका कारण पूछा तो पता चला कि बहुत से लोग मशरूम को मांसाहारी समझते हैं। यहीं से उन्होंने निश्चय किया कि वह लोगों को इस गलत धारणा के बारे में जागरूक करेंगे।
जींद में दो जगह उनकी दुकान है। जहां पर विदेशों से भी लोग इस मिठाई को खरीदने के लिए आते हैं। इससे पहले भी राज्यपाल सुनीता को सम्मानित कर चुके हैं। एग्री समिट में भी सुनीता अपना हुनर दिखा चुकी है।