Haryana: संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले एक बार फिर बड़ा (Kisan Andolan) आंदोलन शुरू किया जा सकता है। देश में चुनाव के बाद दूसरे सबसे बड़े किसान आंदोलन की जरूरत है। जनता ईवीएम के खिलाफ आंदोलन कर रही है, लेकिन चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दल इसका विरोध नहीं कर रहे।
दरअसल, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत बावल में यूनियन के प्रदेश सचिव (Bawal) रामकिशन महिलावत की मां की तेरहवीं पर शामिल होने आए थे। उन्होंने प्रेसवार्ता में कहा कि देश में चुनाव के बाद दूसरे सबसे बड़े किसान आंदोलन की जरूरत है। जनता ईवीएम के खिलाफ आंदोलन कर रही है, लेकिन चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दल इसका विरोध नहीं कर रहे।
10 साल में नही हुआ कोई काम: उन्होंने कहा कि 10 साल में किसी भी वर्ग के लिए कोई काम नहीं हुआ। पूंजीपतियों के लिए नीतियां और योजनाएं बनी हैं। आम आदमी पीस रहा है। उन्होंने बताया कि जो पार्टी का घोषणा पत्र होता है उसे सरकार बनने पर लागू करना चाहिए तभी लोकतंत्र स्थापित किया जा सके।
चुनाव से पहले कुछ वादे किए जाते है, लेकिन बाद में मुकर जाते है। जो लोग विरोध करते है उन पर तानाशाही करे है। राजनीतिक दल चुनावी घोषणा पत्र में बड़े-बड़े वादे करते हैं और चुनाव जीतने के बाद उन्हें भूल जाते हैं और चुने हुए लोग जनता के खिलाफ ही कानून बनाते हैं।
बडे किसान आंदोलन की जरूरत
देश में चुनाव के बाद दूसरे सबसे बड़े किसान आंदोलन की जरूरत है। जनता ईवीएम के खिलाफ आंदोलन कर रही है, लेकिन चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दल इसका विरोध नहीं कर रहे।
टिकैट ने कहा कि वह किसी राजनीतिक दल के विरोध में नहीं हैं, लेकिन किसान आंदोलन (Kisan andolan) का विरोध करने वाले और पहलवान बेटियों के साथ बदसलूकी करने वाले नेताओं से पार्टियों को दूरी बनानी चाहिए, जिसे जनता पसंद नहीं करती। गउन्होंने कहा कि आज समय बदल रहा है। किसान जागृत हो रहे हैं कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं होने से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।