HSSC के चेयरमैन भोपाल सिंह खदरी ने दिया इस्तीफा, जानिए सरपंच से चेयरमैन तक का सफर

BHOPAL SINGH

HSSC: हरियाणा की राजनीति पिछले तीन दिन माहोल गरमाया हुआ है। जहां दो दिन पहले सीएम को बदला था वहीं राजनीति में बड़ी उथल- पुथल के बाद अब एक और बड़ी  Bhopal Singh Khadri resigns खबर सामने आई है। सरपंच से चेयरमैन तक वे कैसे पहुंचें, जानिए पूरा सफर !

चेयरमैन भोपाल सिंह खदरी ने दिया इस्तीफा

हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) के चेयरमैन भोपाल सिंह खदरी ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने हरियाणा सरकार को अपना इस्तीफा भेज दिया गया है। उनका यह फैसला हरियाणा में सीएम चेहरा बदलने के बाद आया है।

 

 

सरकार बदलते चेयरमैन की विदाई

ग्रुप C व D की भर्तियों में विवाद को लेकर भोपाल सिंह खदरी काफी सुर्खियों में रहे थे। ऐसे में मनोहर लाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उनकी विदाई की भी संभावना जताई जा रही थी। हरियाणा में हुई कई भर्तियों के मामले पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के दरवाजे पर दस्तक दे रहें हैं।

 

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सरपंच से चेयरमेन तक का सफर

एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले भोपाल सिंह खदरी ने अपना राजनीतिक सफर गांव के सरपंच से शुरू किया था। सरपंच पद पर रहते हुए ही उन्हें HSSC का सदस्य नियुक्त किया गया था और बाद में उन्हें चेयरमैन के पद पर नियुक्ति किया गया था।

आठ विषयों में एमए और विधि स्नातक हैं नए चेयरमैन

नवनियुक्त चेयरमैन भोपाल सिंह यमुनानगर जिले के खदरी गांव के एक सामान्य और साधारण किसान परिवार से आते हैं। आरएसएस की पृष्ठभूमि से संबंध रखने वाले भोपाल सिंह उच्च शिक्षित, बेहद सामान्य और साधारण व्यक्तित्व के धनी हैं।

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वे आठ विषयों में एमए के साथ साथ विधि स्नातक भी हैं। उनकी गिनती संघ और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विश्वासपात्रों में होती है। उनकी अपने गांव व इलाके में पूर्व सरपंच भोपाल सिंह के नाम से पहचान है। वह केंद्रीय राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया के सचिव भी रह चुके हैं।

एक रुपये शगुन लेने पर मोदी ने की थी तारीफ

पिछले साल अपने इकलौते बेटे की शादी में मात्र एक रुपया शगुन लेने के कारण भोपाल सिंह को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली थी। उनकी प्रशंसा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं।

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नियुक्ति के बाद भोपाल सिंह ने कहा कि बीते छह साल की भांति भर्ती प्रक्रिया को ईमानदारी, योग्यता और पारदर्शी तरीके से आगे भी जारी रखा जाएगा। सरकार और मुख्यमंत्री मनोहर लाल की इच्छानुसार योग्यता को प्राथमिकता उनका लक्ष्य व एकमात्र ध्येय रहेगा