Dharuhera news: Water Conservation लेकर बच्चों को किया जागरूक, जानिए जल सरंक्षण क्यों है जरूरी ?

WATER SAVING

Water Conservation : ग्राम पंचायत रालियावास के स्कूल में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग व जल एवं स्वच्छता सहायक संगठन की तरफ से सरपंच सुनीता व हेड टीचर महावीर सिंह के नेतृत्व में गांव में  Water Conservation  जल जीवन मिशन के तहत एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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मानव अपने स्वास्थ्य, सुविधा, दिखावा व विलासिता को दिखाने के लिये अमूल्य जल की बर्बादी करने से नहीं चूकता है। पानी का इस्तेमाल करते हुए हम पानी की बचत के बारे में जरा भी नहीं सोचते हैं। परिणामस्वरूप अधिकांश जगहों पर जल संकट की स्थिति पैदा हो चुकी है। यदि हम अपनी आदतों में थोड़ा-सा भी बदलाव कर लें तो पानी की बर्बादी को रोका जा सकता है।

 

बस आवश्यकता है दृढ़संकल्प करने की तथा उस पर गंभीरता से अमल करने की, क्योंकि जल है तो हमारा भविष्य है। इसलिए यदि हम पानी की बचत करते हैं तो यह भी जल संग्रह का ही एक रूप है। एक अध्ययन से पता चला है कि मानव यदि अपनी आदतों को बदल लें तो 80 प्रतिशत से भी अधिक पानी की बचत हो सकती है। यदि मानव तमाम नहीं कुछ ही आदत बदल लें तो भी 15 प्रतिशत जल की बचत संभव है। बूँद-बूँद की बचत से एक बड़ी बचत हो सकती है। इस प्रकार पानी की बचत ही जल संरक्षण है।

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कार्यक्रम में विभाग एवं ग्राम जल सिवरेज समिति के सदस्यों के साथ मिलकर जल जीवन मिशन को सुचारू रूप से सफल बनाने पर चर्चा की गई। साथ में स्कूल के बच्चो को जल संसाधन व जल संरक्षण (Water Conservation )के बारे में बताया गया ।

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ईश्वर सिंह , मुकेश यादव, मीरा ने बच्चो को जल जीवन मिशन की गतिविधियों में लोगो का योगदान कितना महत्वपूर्ण है, इसके बारे में बताया। सरपंच प्रतिनिधि अशोक कुमार और पीटीआई प्रताप सिंह, अर्चना मुदगिल, कुमारी दीपक,भूपेंद्र सिंह ने बच्चों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित किया। इस मौके पर शिव कुमार ,बिजेंद्र सिंह, बिंदु , रविंद्र आदि स्कूल से सदस्य उपस्थित रहे।

RALIYAWAS

 

Water Conservation  क्यो जरूरी है

जल संरक्षण-जल हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अनुमान हमें तब होता है जब हमें यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होता। जल की प्रत्येक बूँद हमारे लिए कीमती है। इसे बचाने का प्रयास किया जाना चाहिए। औद्योगीकरण एवं शहरीकरण के कारण कुओं तथा तालाबों में लगातार कमी होती जा रही है और भूमिगत जल का स्तर गिर रहा है जो भविष्य में जल संकट का कारण बन सकती है। अत: जल संकट से बचने के लिए जल संरक्षण आवश्यक है।

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जल संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता है इसलिए पड़ जाती है क्योंकि पृथ्वी पर उपस्थित जल अत्यंत कम और सीमित मात्रा में है। … जल संसाधन में जल के प्राकृतिक स्रोतों जैसे कि नदी, तालाब, हिमनद, वर्षा और भूमिगत जल आते हैं, जिनका बेहतरीप रखरखाव और संरक्षण अति आवश्यक है

 

जल संरक्षण का अर्थ

जल संरक्षण का अर्थ पानी बर्बादी तथा प्रदूषण को रोकने से है। जल संरक्षण एक अनिवार्य आवश्यकता है क्योंकि वर्षाजल हर समय उपलब्ध नहीं रहता अतः पानी की कमी को पूरा करने के लिये पानी का संरक्षण आवश्यक है। एक अनुमान के अनुसार विश्व में 350 मिलियन क्यूबिक मील पानी है। इसमें से 97 प्रतिशत भाग समुद्र से घिरा हुआ है। पृथ्वी पर जल तीन स्वरूपों में उपलब्ध होता है: 1. तरल जल – समुद्र, नदियाँ, झरने, तालाब, कुएँ आदि; 2. ठोस जल (बर्फ) – पहाड़ों तथा ध्रुवों पर जमी बर्फ एवं 3. वाष्प (भाप) – बादलों में भाप।

 

WATER SAVING

 

बूँद-बूँद से बड़ी बचत

यद्यपि पानी की एक बूँद मात्रा देखने में बहुत कम लगती है। परंतु यदि इसे न रोका जाए तो बहुत पानी बरबाद हो जाता है। निम्नलिखित विवरण से इस बात को और भी बल मिलता है अतः पानी की एक भी बूँद बर्बाद नहीं होने देनी चाहिए।

1. एक टपकते नल से प्रति सेकेंड एक बूँद बर्बाद होने से एक माह में 760 लीटर पानी व्यर्थ में ही बह जाता है।
2. सीधे नल से नहाने पर 90 लीटर पानी खर्च होता है।
3. हाथ धोकर नल ठीक प्रकार से न बंद करने पर एक मिनट में 30 बूँद पानी तथा वर्ष में 46 हजार लीटर पानी व्यर्थ चला जाता है।
4. पाइप से बगीचे की सिंचाई पर पानी की भारी बर्बादी होती है।
5. प्रेशर से कार धोने, जल की धार से सब्जियाँ धोने में पानी बर्बाद होता है।
6. खेतों में नहर या पाइप से सिंचाई करने में अधिक पानी लगता है।
7. टाॅयलेट और यूरिनल में लोग काफी पानी बर्बाद करते हैं।
8. सार्वजनिक नलों से बहता हुआ पानी पर्याप्त मात्रा में बर्बाद होता है।
9. ड्रिप सिंचाई प्रणाली से कम पानी में अधिक सिंचाई हो जाती है। इससे लगभग आधा पानी बच जाता है।
10. छोटे गिलासों में पानी पीने से पानी की बचत होती है।
11. कम रिसाव वाले मटकों का उपयोग करने से जल की बचत होती है।
12. लाॅन, पौधों आदि में शाम को ही पानी दें।
13. पर्याप्त कपड़े होने पर ही वाशिंग मशीन का उपयोग करें।
14. सब्जियाँ किसी टब या बर्तन में धोएँ।
15. फ्लश टैंक में व्यर्थ पानी का उपयोग करें।
16. वाहनों को बाल्टी में पानी लेकर धोएँ।
17. शाॅवर के बजाए बाल्टी व मग से नहाएँ।
18. बर्फ के टुकड़ों को किसी पौधे या लाॅन में डाल दें।
19. शेव, ब्रुश, मुँह आदि धोते समय लगातार नल न चलाएँ।
20. मेहमानों को आधा गिलास पानी दें बाद में माँगने पर ही और दें।

इस प्रकार इन उपायों से जल की बचत हो सकती है। बस आवश्यकता है इन पर अमल करने की। यदि इन पर या अन्य तरीकों का उपयोग किया जाए तो जल की यही बचत संग्रहण होगी।