सुनील चौहान। धारूहेड़ा: बिजली में ढांचागत सुधार के साथ-साथ निगम के लिए उसके बकायादार डिफाल्टर भी बड़ी चुनौती बने हैं। धारूहेड़ा सब डीविजनल में 6942 बकायेदारों में 6.69 करोड़ बजट बकाया बिलों के रूप में अटका है। जबकि सरकारी विभाग भी निगम का पैसा दबाने में कम नहीं है।हरियाणा राजपूत प्रतिनिधि सभा ने प्रकोष्ठ संयोजक नियुक्त किए, यहां जानिए किसको मिला कहां का कार्यभार
सरकारी विभागों के कार्यालयों में बिजली निगम काफी बकाया है। लेकिन इनका हर साल एडजेस्टमेंट के चलते हिसाब होता रहता है। धारूहेड़ा में कुल 32 हजार बिजली उपभोक्ता हैं। जिसमें से 6942 उपभोक्ताओं को निगम ने डिफाल्टर घोषित कर दिया है।
दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम लगातार बिजली उपभोक्ताओं को ढांचागत सुविधाओं को बढ़ाकर बेहतर सुविधा देने में जुटा है। बावजूद इसके निगम के बकायादार कम नहीं हो रहे हैं। ये वो बकायेदार हैं, जिन पर निगम का हर साल बकाया बिल बढ़कर अब 6.69 करोड़ का आंकड़ा भी पार कर चुका है।
तीन साल की आंकडे
साल कनेक्शन हज़ार डिफाल्टर राशि लाख
2021 29.220 5845 6.24
2022 31.120 6821 6.58
2023 32.220 6942 6.69
योजना भी नही आई काम: हालांकि निगम ने इन बकायादारों के पैसा जमा कराने और भविष्य में लगातार बिलों का भुगतान कराने के लिए सरचार्ज माफी योजना भी चलाई। मगर इसका भी ज्यादा असर नहीं हुआ। निगम के डिफाल्टरों में दो तरह के बकायादार हैं। पहली श्रेणी में वो बकायेदार जिनका बकाया बिल हैं, मगर फिलहाल बिजली कनेक्शन कट चुका है। दूसरी श्रेणी में वे बकायादार हैं, जिनका बकाया बिल होने के बावजूद उनका निगम से बिजली कनेक्शन चालू है।
दो है सब कार्यालय: धारूहेडा डीवीजन में दो सब कार्यालय तथा 67 फीडर है। जिनमें खरखडा व जोनावास शामिल है। औद्योगिक कस्बा होने के चलते राजस्व को लेकर रेवाडी व कोसली से भी यह आगे है। धारूहेड़ा व बावल का कार्यकारी अभियंता कार्यालय धारूहेड़ा में ही स्थित है। डिफाल्टरों के आंकडो पर फोकस कर तो 2022 से 2023 मे 8 फीसदी डिफाल्टर बढे है, जबकि 2022 में 2021 से करीब 12 फिसदी डिफाल्टर बढे थे। जागरूकता व समय समय पर दी जा रही ही छूट का काफी लोगो ने लाभ उठाया है।
बिजली निगम में बकाया बिजली बिलों के भुगतान के लिए गांव-गांव में कैंप लगाकर राशि जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं। समय-समय पर सरचार्ज माफी योजना चलाकर उपभोक्ताओं को प्रेरित किया जाता है ताकि बिलों की अदायगी हो सके।रविंद्र, एसडीओ, विदयुत निगम, धारूहेडा