रेवाड़ी: गिरता भू-जलस्तर रेवाडी जिले के लिए परेशानियों का सबब बनता जा रहा है। हालांकि भू-जलस्तर को सुधारने के लिए प्रदेश सरकार लगातारा प्रयास कर रही है।Rewari News: बार चुनाव का मैदान तैयार, चार पदों पर होगी कांटे की टक्कर
हरियाणा सरकार ने जिले में 11 तालाब बनाने की योजना बनाई है। प्रत्येक तालाबों में करीब 2 करोड़ रुपये के आसपास की राशि खर्च की जाएगी। सिंचाई विभाग ने तालाबों के लिए जमीन भी चिह्नित कर ली है।
हरियाणा के दो जिलों में जल निकाय तैयार किए गए थे। पायलट प्रोजेक्ट सफल रहने के बाद अब इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जा रहा है। तालाबों के निर्माण के लिए विशेषकर उन क्षेत्रों पर फोकस किया गया है, जहां पर भू-जलस्तर ज्यादा तेजी से गिर रहा है और जहां नहरी पानी से सिंचाई होती है।
फिलहाल इसके लिए बजट भी बना लिया गया है। जिले में जो तालाब बनाए जाएंगे वह पंचायती भूमि पर बनेंगे। कुल मिलाकर, मुख्य मकसद यह है कि भू-जलस्तर को जल्द से जल्द सुधरा जाए। ताकि भविष्य में पानी की वजह से स्थिति विकराल ना हो जाए।Dharuhera: फ्री हैल्थ चेैकअप शिविर 22 को
डहीना और खोल का भू-जलस्तर लगातार गिर रहा है। डहीना का जलस्तर 57 मीटर और खोल का 56 मीटर तक पहुंच चुका है। बावल तीसरे पर नंबर है। बावल में जलस्तर 33 मीटर तक पहुंच चुका है। खोल और डहीना को डार्क जोन घोषित किया जा चुका है।
आज से 10 साल पहले डहीना का जलस्तर 47 मीटर और खोल का जलस्तर 46 मीटर था। वहीं, 2013 में बावल का जलस्तर 27 मीटर था।
लगाए गए हैं पीजो मीटर
जिले में गिरते भूजल स्तर को रोकने एवं पानी की गुणवत्ता को जांचने के लिए सिंचाई विभाग अटल भूजल योजना के तहत गांवों की पंचायती जमीन पर पीजो मीटर भी लगा गए हैं। इससे भूजल स्तर व पानी की क्वालिटी मापी जाती है। इससे मिलने वाली रिपोर्ट के अनुसार ही पानी के स्तर को सुधारने की दिशा में विभाग द्वारा कदम उठाए जाते हैं।
90 प्रतिशत हो रहा भू-जल का प्रयोग
जिले के किसान खेती के लिए 90 प्रतिशत भू-जल का प्रयोग करते हैं। अधिकतर के पास ट्यूबवेल हैं, लेकिन पिछले सालों में ट्यूबवेल घटते भू-जलस्तर के कारण ठप हो गए हैं। गर्मी के रफ्तार पकड़ते ही सूखते जोहड़, तालाब और कुएं इस बात के संकेत दे रहें हैं कि जलसंकट बढ़ेगा।
जिले में 2013 ले लेकर 2023 तक भू-जलस्तर की स्थिति (मीटर में)
खंड 2013 2017, 2020, 2023
जिले का शायद ही कोई ऐसा गांव होगा, जहां कुएं का प्रयोग पानी के लिये होता होगा। ठप पड़े कुओं ही नहीं, जोहड़ों की हालत भी खराब होती जा रही है। जलाशय बनाने के नाम पर पंचायतों द्वारा करोड़ों रुपये हर साल खर्च किया जा रहा है। हालांकि, उसका लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा। कई कुएं व जोहड़ तो केवल कूड़ा फेंकने के काम आ रहे हैं।
खोल में भू-जलस्तर को सुधारने के हो रहे प्रयास
सिंचाई विभाग की ओर से गिरते भूजल स्तर को ऊपर उठाने के लिए लगातार प्रयास भी किए जा रहे हैं। सिंचाई विभाग की ओर से जिले के खंड खोल में मंदौला-निमोठ व ढाणी ठेठराबाद के पास से होकर गुजर रही कृष्णावती नदी में नहर के पानी को कई स्टेजों में यमुना का पानी छोड़ा गया।HTET परीक्षा परिणाम को लेकर आया नाया अपडेट, इस दिन जारी होगा परिणाम, फर्जी मेंल से रहे सावधान: वीपी यादव
सिंचाई विभाग की ओर से नदी की सफाई कर नहर से जोड़ा गया है। विभाग की ओर से बरसात के दिनों में पानी को कृष्णावती नदी में छोड़ा जाता है। जिससे ग्राउंड वाटर रिचार्ज होता रहता है और भूजल स्तर ऊपर उठेगा।
सरकार ने खोल और डहीना को डार्क जोन घोषित किया है। कई योजनाएं भी चलाई गई है। सरकार द्वारा जहां पर लगातार भू-जलस्तर गिर रहा है, वहां पर स्थिति सुधारने के लिए कोशिशें की जा रही है। -डॉ. संजय, कृषि विकास अधिकारी