Agneepath Yojana: अग्निपथ योजना (Agneepath Yojana) के तहत भारतीय सेना में शामिल होने वाले युवाओं के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है। भर्ती प्रकिया को लेकर बडा बदलाव किया गया है। इस बारे में सेना की AG ब्रांच की तरफ से 31 अक्टूबर को नई पॉलिसी जारी की गई है।
अग्निवीर के लिए आंकलन किस तरह नियमित सैनिक से मुश्किल था, इसे BPET के उदाहरण से समझा जा सकता है। नियमित सैनिक के लिए 5 हजार फीट की ऊंचाई तक में 5 Km की दौड़ (पूरे बैटल लोड के साथ) 25 मिनट में पूरी करने का मतलब एक्सिलेंट है जबकि 26.30 मिनट में अच्छा और 28 मिनट में संतोषजनक है।
सीएम ने दीवाली पर गुरुग्राम को अंडरपास की दी सौगात, जानिए किस रूट को रहेगा फायदाअब भारतीय सेना ने इस पालिसी में बदलाव कर अग्निवीर और नियमित सैनिक की योग्यता का आंकलन करने का क्राइटेरिया एक समान कर दिया है। हालांकि, इस बीच अग्निवीर का पहला बैच ट्रेनिंग पूरी कर अपनी यूनिट्स में पहुंच गया है यानि उनके पहले साल की योग्यता का आंकलन पुरानी पॉलिसी यानि मुश्किल क्राइटेरिया के हिसाब से ही किया गया है।
अग्निवीर का आंकलन पहले साल ट्रेनिंग सेंटर में और फिर तीन साल यूनिट में होना है। इसमें बैटलफील्ड फिजिकल इफिशंसी टेस्ट (BPET), फिजिकल प्रोफिसिएंसी टेस्ट (PPT), फायरिंग और ड्रिल भी देखी जानी हैा
वहीं, नियमित सैनिक की जब भर्ती होती थी, तब उनका भी इन सब के आधार पर मूल्याकंन किया जाता था और उसके नंबर मिलते थे. यूनिटों में भी नियमित सैनिकों को ये टेस्ट एक निर्धारित अवधि में देने होते हैं।ED Raid: Hero MotoCorp के CMD पवन मुंजाल की 25 करोड़ की संपति जब्त? जानिए क्या है गुनाह
अग्निवीर के क्राइटेरिया में इन तीन केटेगरी के अलावा सुपर एक्सिलेंट भी जोड़ दिया गया था यानि यह दौड़ 23 मिनट में पूरी करने पर वह सुपर एक्सिलेंट क्राइटेरिया में आएगा। वहीं, नियमित सैनिक के लिए कोई भी अगर 25 मिनट या उससे कम में दौड़ पूरी करता है तो वे सब एक्सिलेंट ही होंगे।
अग्निवीर पर ज्यादा दबाव
अग्निवीर सैनिक के आंकलन में एक और मुश्किल केटेगरी जोड़ने से उन पर नियमित सैनिकों के मुकाबले ज्यादा दबाव पड़ने की आशंका थी. अग्निवीर का एक बैच सुपर एक्सिलेंट जैसे क्राइटेरिया से ही गुजरकर यूनिट तक पहुंचा है यानि एक साल की उनकी मार्किंग हो चुकी है. हालांकि, सेना के एक अधिकारी ने कहा कि फाइनल मार्किंग में इसे ठीक कर लिया जाएगा।