मप्र: मप्र में इंडिया गठबंधन के बनने के बावजूद विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और सपा अलग-अलग चुनाव लड़ने जा रहे हैं। ऐसा लग रहा था कि यह दोनों पार्टियां वोटों का बंटवारा रोकने के लिए चुनावी समझौता कर सकती है।REWARI: ट्रस्ट ने की ऐसी पहल, पूरे हरियाणा में हो रही जयजयकार
क्यों बिगड रहा है गठबंधन
कांग्रेस के मप्र प्रभारी रणदीप सुरजेवाला और सपा नेता राम गोपाल वर्मा के बीच भी कई स्तर की बातचीत हुई थी। बावजूद इसके यह गठबंधन नहीं बन सका। सीटों को लेकर यह बातचीत कमलनाथ और दिग्विजिय के स्तर पर तक पहुंच गई थी।
कारण एक: इस गठबंधन के ना बन पाने की तीसरी वजह इस पूरे मसले पर राहुल गांधी, प्रियंका और मल्लिकाअर्जुन खड़गे की चुप्पी थी। इन तीनों नेताओं ने एक बार भी सपा के किसी नेता के साथ कोई बात नहीं कीडा. भीमराव अंबेडकर छात्रवृत्ति योजना के लिए मांगे आवेदन, ऐसे करें अप्लाई
कारण दो: पांच राज्यों के इन चुनावों में कांग्रेस मजबूत हालत में है। वह राज्यों के चुनाव में इंडिया गठबंधन के सहयोगियों के साथ सीट शेयर करने में बहुत इच्छुक नहीं थी
कारण तीन: सपा ने कांग्रेस से दस सीटें मांग रही थी। यह वह सीटें हैं जहां बीते चुनावों में सपा को मिलने वाले वोट अच्छी संख्या में हैं
कांग्रेस ओर सपा में रार
कांग्रेस और सपा दोनों ही मप्र सहित किसी भी राज्य के चुनाव में किसी तरह की सीट शेयरिंग पर बात नहीं करने जा रहे हैं। पांच राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद जब देश में आम चुनावों की तैयारी शुरू हो जाएंगी तब यह दोनों पार्टियां एक दूसरे से लोकसभा चुनावों पर चर्चा करेंगी।
सपा अब मप्र के चुनावों को लेकर गंभीर हो गई है। करीब 33 सीटें ऐसी हैं जहां सपा ने अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। सूत्रों के अनुसार इस विवाद के बाद सपा अपनी प्रत्याशियों की संख्या बढ़ाने जा रही है। 50 ऐसी सीटें हो सकती हैं जहां से सपा अपने उम्मीदवार खड़े करे।