भूख हडताल, धरने का कोई असर नहीं, गूंगी और बहरी बनी बैठी सरकार, जानिए क्या है आगे की रणनीति: कामरेड

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रेवाडी: मांगो को लेकर केंद्रीय श्रमिक संगठन एआईयूटीयूसी व स्कीम वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के आह्वान पर रेवाड़ी से मिड-डे-मील, आशा व आंगनबाड़ी कर्मियों ने कई दिनो से हडताल पर है। इससे पहले भूख हडताल, आंदोलन व धरना भी दे चुकी है। लेकिन मनोहर सरकार को इस हडताल का कोई असर नहीं है।भारत निर्वाचन आयोग ने पांच राज्यों में चुनाव कार्यक्रम का किया ऐलान, यहां देखिए पूरी डिटेल्स

केंद्रीय श्रमिक संगठन एआईयूटीयूसी व स्कीम वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के आह्वान पर रेवाड़ी से मिड-डे-मील, आशा व आंगनबाड़ी कर्मियों ने बड़ी संख्या में भिवानी हुंकार रैली में हिस्सा लिया। सरकार की ओर से कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। ऐसे मे जल्द ही रणनीति बनाई जाएगी।

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एआईयूटीयूसी के राज्य प्रधान कामरेड राजेंद्र सिंह एडवोकेट ने रेवाड़ी स्टेशन पर स्कीम कर्मियों संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार स्कीम कर्मियों के प्रति गूंगी और बहरी बनी बैठी है। कोई सुनवाई नही कर रही है।Rewari: धारूहेडा नपा चेयरमैन बोखलाए, सुबह ही की पेयमेंट कमेटी की बैठक स्थगित

सरकार स्कीम कर्मियों की अभी तक अपना श्रमिक भी नहीं मानती जबकि गर्भ में बच्चा होने से लेकर 14 वर्ष पूरा होने पर आशा कार्यकर्ता, मिड-डे-मील कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका एक मां की तरह भूमिका अदा करती है।

महंगाई की मार से पीड़ित परिवारों को जीने लायक वेतन नहीं दिया जाता। मिड-डे-मील कर्मी को महज 7000 रुपये, आशा को 4000 और आंगनबाड़ी हेल्पर्स को 6490 रुपये प्रति माह मिलते हैं, जबकि हरियाणा में एक एमएलए को 2 लाख 10 हजार रुपये मिलता है। कामरेड सिंह ने कहा कि बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ पर करोड़ों रुपये खर्च करने वाली सरकार अगर इसका 2 प्रतिशत भी खर्च कर दे तो स्कीम कर्मियों के मानदेय में बढ़ोतरी हो सकती है।