New Delhi: उद्योग जगत की तरफ से उम्मीद की जा रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में नीतिगत दर को यथावत रखा जा सकता है.
मई 2022 के बाद से लगातार छह बार नीतिगत दर में 2.5 पर्सेंट तक की वृद्धि की गई. अप्रैल में केंद्रीय बैंक की तरफ से वृद्धि के इस फैसले पर रोक लगा दी गई.
आरबीआई की 6 सदस्यों वाली बैठक शुरु हुई है। जिसमें काफी बड़ें फैसले लिए गए हैं। आरबीआई की इस बैठक में लिए गए अधिकतर फैसलो से आम आदमी ज्यादा प्रभावित होगा। इस समय बढ़ते लोन कर्ड और ईएमआई से आम आदमी काफी परेशान है।प्रजापिता ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय की रेवाडी शाखा ने निकाली युवा शांति यात्रा
कर्ज लेने वाले लोग इस तरह की उम्मीद लगाएं बैठे हैं कि वह रेपो रेट कम करें। वहीं जो लोग शेयर मार्केट में पैसा लगाते हैं वह भी इसको लेकर सहीं फैसले का इंतजार कर रहे हैं। आपको बता दें कल रोज महंगाई में नमी लाने के लिए आरबीआई के रेपो रेट को 6.5 फीसदी कर दिया है।
रेपो रेट में नहीं किया गया बदलाव
पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष साकेत डालमिया ने कहा कि इस विराम से वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा. हम आर्थिक वृद्धि बनाए रखने और मुद्रास्फीति के दबाव को दूर करने के लिए सरकार और RBI से निरंतर सहयोग की उम्मीद कर रहे हैं.
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष सुभ्रकांत पांडा ने कहा कि नीतिगत दरों को यथावत रखने की पहले से ही उम्मीद की जा रही थी. दरों में किसी प्रकार का कोई बदलाव ना करके आरबीआई वृद्धि को बढ़ावा देते हुए महंगाई पर लगातार नजर बनाए हुए हैं.
यदि ऐसा ही रहा तो आगे दरों में कटौती का रास्ता आसान हो जाएगा. मुद्रास्फीति नरम पड़ने के बीच आरबीआई ने कल मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट को 6.5% पर ही कायम रखा. अर्थात इसमें किसी प्रकार की कोई भी वृद्धि नहीं की.
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इस फैसले से रियल एस्टेट क्षेत्र को मिलेगा लाभ
एक अन्य उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि जब मौद्रिक नीति समिति का मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने पर ध्यान है तो हमें विश्वास है कि आरबीआई यह सुनिश्चित करेगा कि बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त तरलता बनी रहे और ऋण वृद्धि मजबूत रहे.
नीतिगत दरों में यथावत रखने का फैसला विशेष रूप से रियल स्टेट क्षेत्र के लिए काफी अच्छा माना जा रहा है. एचबिट्स के संस्थापक शिव पारेख ने कहा कि आरबीआई के इस फैसले के तत्काल प्रभाव उतने नहीं होंगे लेकिन इससे रियल एस्टेट क्षेत्र में स्थिरता आएगी.