Budget 2023: बजट खास है या नही, जानिए नेताओ के ब्यान

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रेवाडी: बजट को लेकर पक्ष जहां सराहनीय बता रहा है, वही विपक्ष इस पर तंज कस रहा है। जाकिन बजट को लेकर किसने क्या कहा….Budget 2023: शराब हुई महंगी, Gold हुआ सस्ता, यहां देखिए पूरी लिस्ट

कोसली विधायक लक्ष्मण सिंह यादव ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अमृतकाल के प्रथम पेश किए आम बजट की जमकर सराहना करते हुए इसे आम आदमी, नौकरीपेशा, किसान, व्यापारी, कर्मचारी, महिला, दुकानदार सहित सभी वर्गों के लिए हितकारी बताते हुए देश की गति को और तेज करने वाला बताया।

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उन्होंने कहा कि इंकम टैक्स लिमिट को पांच लाख से बढ़ाकर सात लाख रुपये कर मध्यम वर्ग व नौकरी पेशा आदमी को बड़ी राहत प्रदान की गई है।

कोसली विधायक लक्ष्मण सिंह यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में केंद्रीय वित्त मंत्री ने बहुत ही शानदार बजट प्रस्तुत किया है। इस बजट में इंकम टैक्स से छूट की राशि को बढाए जाने संबंधी आमजन की पुरानी मांग को पूरा कर मध्यम व नौकरी पेशा वर्ग को नववर्ष का उपहार दिया गया है। सरकारी एजेंसियों द्वारा अब पैन कार्ड भी पहचान पत्र के रूप में मान्य किए जाने पर भी मुहर लगाई गई है। अर्बन डवलपमेंट पर खर्च करने के लिए दस हजार करोड़ की बड़ी राशि का प्रावधान किया गया है

पूंजीपतियो की जेब भरने वाला रहा बजट: पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय यादव

मोदी सरकार के वित्त मन्त्री सीता रमण ने देश के समक्ष बजट पेश किया जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने कहा कि यह बजट मध्यम वर्ग, किसान, मजदूर की जेब खाली करने वाला बजट है और इस बजट से मंहगाई बढेगी और उद्दोगपतियों की जेब भरेगी। इस बजट में मध्यम वर्ग का बिल्कुल भी ध्यान नही दिया गया जो कि देश में सबसे ज्यादा टैक्स भरते हैं।
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15 लाख से उपर की आय पर 30 प्रतिशत का टैक्स देना होगा। इसमें ये बताएं जिसकी 16 लाख सालाना आय उसको भी 30 प्रतिशत टैक्स देगा होगा और जिसकी 10 करोड आय है उसको भी 30 प्रतिशत ही टैक्स देना होगा जोकि न्याय संगत नही है।

उम्मीदों पर पूरा करने वाला रहा बजट: सतीश खोला

भाजपा सेवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष सतीश खोला ने कहा कि यह देश की जनता के साथ विश्व की उम्मीदों को भी पूरा करने वाला बजट है। ये गरीबों का बजट है, नए भारत का संकल्प इस बजट में दिखाई देता है। भारत की अर्थव्यवस्था आज पांचवे नंबर की अर्थव्यवस्था बनी है।

इस बजट में मध्यम वर्ग, जनजातीय वर्ग, रोजगार सृजनsasta आदि की चिंता की गई है। यह बजट भारत के गरीब लोगों को समर्पित है। ये सबका साथ, सबका प्रयास, सबका विश्वास, सबको साथ लेकर चलने वाला बजट है।

उन्होंने कहा की कहा कि अमृत काल का पहला बजट लोक कल्याणकारी है, यह गरीब किसानों, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों, वंचितों, आर्थिक रूप से पिछड़े तथा मध्यम वर्ग को सशक्त और सक्षम बनाने वाला बजट है। यह बजट बच्चों की पढ़ाई, मध्यम वर्ग की कमाई और बुजुर्गों की भलाई पर बल देने वाला है।

अमृत काल का उम्मीदों भरा बजट: वंदना पोपली

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता वंदना पोपली ने आम बजट 2023 को अमृत काल का उम्मीदों भरा बजट बताते हुए कहा है कि इस बजट में सभी वर्गों का ध्यान तो रखा ही गया है साथ ही भविष्य की झलक भी दिखाई देती है। यह बजट इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है की भारत के इतिहास में पहली बार महिला राष्ट्रपति ने महिला वित्त मंत्री को इस बजट को प्रस्तुत करने की अनुमति दी है

आज भारत की अर्थव्यवस्था पांचवें नंबर पर पहुंच गई है। हम तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है पूरा विश्व हमारी तरफ देख रहा है कोरोना के बाद जहां विश्व में बहुत से देश ऐसे हैं जो आर्थिक मोर्चे पर जूझ रहे हैं वही पूरी दुनिया भारत की तरफ देख रही है कि भारत की अर्थव्यवस्था किस प्रकार से बढ़ रही है।

पूंजीपतियों फायदा करने वाला बजट : कुलदीप

आम आदमी पार्टी के रेवाड़ी संगठन के कुलदीप शर्मा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा आज प्रस्तुत किए गए 2023 के आम बजट को पूंजीपतियों की सरकार का पूंजीपतियों के लिए फायदा करने वाला बजट बताया। कुलदीप शर्मा के अनुसार यह बजट भारत की वर्तमान आर्थिक समस्याओं को हल करने एवम इनको नियंत्रित करने में पूर्णतया असक्षम बजट है।

उन्होंने बताया कि वित्त मंत्री ने अपने पूरे बजट भाषण में देश की बेरोजगारी,गरीबी,महंगाई,एवम देश में बढ़ रही आर्थिक असमानताओं के किसी भी शब्द को बजट में कोई स्थान नहीं दिया।और ना ही देश में बड़े गरीब तबके के प्रतिशत को कम करने ,युवा पीढ़ी को रोजगार उपलब्ध करवाकर बेरोलगारी को कम करने,देश की आधी आबादी गृहणियों की रसोई को महंगाई से निजात दिलाने,

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कोरोना काल की त्रासदी में नौकरी से निकाले गए मजदूरों एवम कर्मचारियों का पुनरूत्थान करने पर कोई भरोसा नहीं दिया गया। बजट में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट के गिरने,एक्सपोर्ट के निरंतर कम होने,सरकार के पूंजीगत खर्चे के निरंतर गिरने,प्राइवेट कनसंपशन के स्थिर हो जाने पर बजट में कुछ नही कहा गया और ना ही इनको बढ़ाने के लिए कोई नीतिगत सुझाव ही बजट में दिया गया।