20 दिन बीतने के बावजूद दोनो पुलिस के गिरफत से बाहरहरियाणा: हरियाणा के बहुचर्चित नारनौल जेल रिश्वत कांड में स्टेट विजिलेंस ब्यूरों ने फरार चल रहे जेल अधीक्षक अनिल जांगड़ा और डिप्टी जेलर कुलदीप हुड्डा की 20 दिन बीतने के बावजूद गिरफतारी नहीं हो पाई हैं इसलिए अब दूसरी बार कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी कराए हैं। साथ ही 11 जनवरी तक हर हाल में इस केस की जांच में शामिल होने के लिए उनके घर और जेल परिसर में नोटिस भी चस्पा किया गया है। हालांकि विजिलेंस की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद भी दोनों ही जेल अधिकारी ना तो खुद विजिलेंस के सामने पेश हुए और ना ही अभी तक विजिलेंस अभी तक उनके ठिकाने तक पहुंच पाई है।
बता दें कि 9 दिसंबर को नारनौल की नसीबपुर जेल में 1 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए विजिलेंस ब्यूरों की टीम ने जेल वॉर्डर राजन को जेल परिसर से गिरफ्तार किया था। पूछताछ में राजन ने एक अन्य जेल वॉर्डर गजेसिंह के नाम उगला था। उसी दिन विजिलेंस ने गजे सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया था। दोनों से हुई पूछताछ के बाद नारनौल की नसीबपुर जेल के डिप्टी जेल सुपरिटेंडेंट कुलदीप हुड्डा के अलावा जेल का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे रेवाड़ी के जेल अधीक्षक अनिल जांगड़ा का नाम भी इस रिश्वतकांड में सामने आया था।
कुलदीप हुड्डा को तो बकायदा एफआईआर में भी नामजद किया गया है। जेलर और डिप्टी जेलर की तलाश में विजिलेंस की टीम पिछले 20 दिनों से उनके संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। दोनों ही जेल अधिकारियों की नारनौल कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका भी खारिज हो चुकी है। इसके साथ ही 5 दिन पहले विजिलेंस ने दोनों को गिरफ्तारी वारंट जारी कराते हुए उन्हें इस केस की तफ्तीश में शामिल होने के लिए नोटिस चस्पा किए थे, लेकिन उसके बावजूद दोनों अधिकारी केस की जांच में शामिल नहीं हुए, जिसके चलते विजिलेंस ने एक बार फिर नारनौल कोर्ट से दोनों के गिरफ्तारी वारंट जारी कराते हुए 11 जनवरी तक हर हाल में तफ्तीश में शामिल होने का नोटिस चस्पा किया गया है।
रेड फेल होने पर नप चुके इंस्पेक्टर:
दरअसल, 15 दिसंबर को रेवाड़ी जेल अधीक्षक अनिल जांगड़ा की गिरफ्तारी को लेकर विजिलेंस ने रेवाड़ी स्थित उनके सरकारी आवास पर रेड मारी थी, तब वह रेड लीक होने के चलते पहले ही वहां से फरार हो गए थे। इसका खामियाजा तत्कालीन विजिलेंस इंस्पेक्टर अजीत सिंह को सस्पेंशन के रूप में भुगतना पड़ा था। बाद में इंस्पेक्टर नवल किशोर शर्मा को अनुसंधान का कार्यभार दे दिया गया था।
ड्यूटी ही नहीं, तफ्तीश में भी शामिल नहीं हो रहे:
डिप्टी जेलर कुलदीप सिंह हुड्डा ने 14 दिसंबर को 10 दिन की छुट्टी पूरी होने के बाद आगामी 1 सप्ताह के लिए जो मेडिकल लिव लगाई थी, उसे अस्वीकृत कर दिया गया है। हुड्डा ने नारनौल अदालत में जो अग्रिम जमानत लगाई थी, वह भी खारिज हो चुकी है। अब दोनों ही आरोपी जेल अधिकारी न तो ड्यूटी पर हाजिर हो रहे हैं और न ही तफ्तीश में शामिल हो रहे हैं। जबकि विजिलेंस ने दोनों के खिलाफ 11 जनवरी तक के लिए कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट हासिल कर लिए हैं। विजिलेंस इंस्पेक्टर नवल किशोर शर्मा ने बताया कि दोनों ही आरोपी अब तक फरार बने हुए हैं और अनुसंधान में शामिल नहीं हो रहे हैं। इसी कारण गिरफ्तारी वारंट हासिल किया गया है। इनके घरों एवं कार्यालयों को तफ्तीश में शामिल होने के नोटिस भी दिए गए हैं।
क्या था मामला:
9 दिसंबर को विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने नारनौल की नसीबपुर जेल के वार्डन राजन को 1 लाख रुपए लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। उसने यह रकम जेल में बंद हरियाणा और राजस्थान के नामी गैंगस्टर पपला गुर्जर के खास गुर्गे संदीप उर्फ सिंधिया के भाई हंसराज से ली। संदीप ने एक जेल वार्डन के फोन से ही कॉल करके अपने भाई हंसराज को इस रकम का इंतजाम करने को कहा था। हंसराज रकम लेकर जेल पहुंचा और वहां गार्द पोस्ट के अंदर वार्डन राजन को सौंप दी।
विजिलेंस ब्यूरो ने उसी समय रेड मारकर राजन को रकम गिनते हुए दबोच लिया था। राजन ने पूछताछ में बताया कि जेल के ही एक अन्य वार्डन गजे सिंह के कहने पर उसने यह रकम ली। राजन के बाद विजिलेंस ब्यूरो ने गजे सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया। इन दोनों की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ हुई तो पता चला कि जेल में सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर जेल अधीक्षक और डिप्टी जेलर के कहने पर रिश्वत ली गई। अब जेल के दोनों बड़े अधिकारी फरार