विधायक ने विस में रखा ओबीसी क्रीमी लेयर में आय बढाने का मुद्दा
रेवाडी। हरियाणा विधानसभा में शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन विधायक चिरंजीव राव ने प्रदेश में खाद की कमी, नीजी कंपनियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण व ओबीसी वर्ग की क्रीमी लेयर में सालाना आय को बढाने के मुद्दे रखे। चिरंजीव राव ने कहा कि अन्नदाता को सरकार ने परेशान किया है, पहले डीएपी की किल्लत और अब यूरिया की किल्लत से किसानों को बहूत परेशानी हो रही है।
एक तरफ सरकार द्वारा समय पर खाद उपलब्ध नही कराई नतीजन खाद की कमी से किसानों की फसल खराब हो रही है और दूसरी तरफ खाद को लेकर कालाबाजारी हो रही है और सरकार किसानों पर झूठे मुकदमें दर्ज कर रही है। श्री राव ने कहा कि सरकार झूठ पर झूठ बोल रही है कि खाद और यूरिया की कोई कमी नही है जब खाद की कोई कमी ही नही है तो फिर किसानों पर खाद चोरी के मुकदमें क्यों दर्ज किए हैं। विधायक ने कहा कि सरकार दावा करती है कि 2022 तक हम किसान की आय दोगुनी कर देगें, किसान भाईयों को अब तक लागत तो मिल नही रही तो ऐसे किसानों की आय दोगुनी कैसे होगी।
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सबसे पहले तो सरकार को एमएसपी के लिए प्रस्ताव देना चाहिए और किसानों पर दर्ज किए मुकदमें वापस लेने चाहिए। निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण पर विधायक चिरंजीव राव ने कहा कि आगामी 15 जनवरी से यह लागू होगा ये तो प्रदेश वासियों के लिए बडे ही खुशी की बात है और मैं इसका स्वागत करता हूं कि हमारे प्रदेश के युवाओं को रोजगार मिल सकेगा। लेकिन अभी भी बहूत सी कंपनियां जो भर्तियों के लिए इस्तिहार जारी कर रही हैं उसमें कंपनियों द्वारा लिखा जा रहा है कि स्थानीय युवाओं को इसमें कोई आरक्षण नही दिया जाएगा।
ऐसी कंपनियों पर सरकार द्वारा क्या कार्रवाई की जाएगी और उन पर दंड का क्या प्रावधान किया गया है। चिरंजीव राव ने मांग करी है कि स्थानीय लोगों को रोजगार के इस 75 प्रतिशत आरक्षण में कोई कोताही नही बरतनी चाहिए कभी सरकारी नौकरियों की तरह ही इनमें भी घोटाले किए जाऐं।
विधायक चिरंजीव राव ने सदन में कहा कि ओबीसी क्रीमीलेयर की नयी अधिसूचना एक षडयंत्र है जिसके तहत सरकार, ओबीसी के आरक्षण को खत्म करना चाहती है। वर्तमान सरकार पिछडा वर्ग के संवैधानिक, कानून सम्मत व न्यायोचित व गैरकानूनी तरीके से हनन करती आ रही है। जब केंद्र सरकार द्वारा क्रीमीलेयर का सालाना 8 लाख रूपये रखा है तो फिर प्रदेश सरकार ने इसको घटाकर 6 लाख क्यों किया है। जबकि सुर्पीम कोर्ट द्वारा गत 24 असस्त 2021 को नई अधिसूचना रद्द भी कर दी गई है। यह सीधे तौर पर सुप्र्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना है यह पिछडा वर्ग के साथ अन्याय व धौखा है।