रेवाड़ी: प्रशासन की लापरवाही के चलते लाखो रूपए की कीमत से लगाई गई चौराहे की बत्तिया कबाड बनी हुई हैं वनवे की आड में सडक किनारे दुपहिया और चौपहिया वाहनों की कतारें लगी है। निजी अस्पतालों, स्कूलों और बैंकों के बाहर अवैध पार्किंग बनी है। सड़क के बीचो बीच निर्माण सामग्री बिखरी पड़ी है। दुपहिया वाहन तो दूर, पैदल राहगीरों के लिए सड़कों पर पीली पट्टी तक नहीं है। चौराहा पार करने के लिए ज़ेबरा क्रॉसिंग नहीं है। अतिक्रमण तो मानो सड़क के दोनों ओर बने फुटपाथों पर दुकानदारों ने कब्जा ही जमा लिया है।
यह हाल कहीं और का नहीं, बल्कि उस पीतल नगरी रेवाड़ी का है, जहां पिछले दिनों जिला प्रशासन ने शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले सर्कुलर रोड पर वन-वे ट्रैफिक संचालन का तुगलकी फरमान जारी कर दिया है। ऐसे में वाहनों की रफ्तार इस कदर बढ़ गई है कि सर्कुलर रोड पर न केवल आए दिन हादसे होना आम बात हो गई है, बल्कि पैदल राहगीरों और दुपहिया वाहन चालकों का शहर के इस मुख्य मार्ग से निकलना ही दुश्वार हो गया है।आज शाम के करीब 4 बजे थे कि नागरिक अस्पताल से निकली एक एंबुलेंस तेज रफ्तार में आ रही निजी कंपनी की बस से टकरा गई।
मगर कुछ भी हो, अब कुछ लोग जहां प्रशासन द्वारा शुरू की गई वन-वे ट्रैफिक व्यवस्था को अच्छा कदम बता रहे हैं तो वही दुपहिया वाहन चालकों में इस बात को लेकर भारी रोष भी है कि उन्हें चंद दूरी तय करने के लिए पूरे सर्कुलर रोड का सफर करना पड़ रहा है, लेकिन यहां उनकी सुनने वाला शायद कोई नहीं है।
अब लोगों का प्रशासन से सवाल यह है कि लाखों रुपए खर्च करके चौराहों पर लगाई गई लाल बत्तियां आखिर बंद क्यों पड़ी है। सालों बीतने के बावजूद शहर में पार्किंग की व्यवस्था तक नहीं हो पाई है। ऐसे में प्रशासन का वन-वे ट्रैफिक वाला फरमान लोगों को बुरी तरह चुभ रहा है।
लोगों का कहना है कि वन-वे ट्रैफिक करना प्रशासन का अच्छा कदम है, लेकिन इससे पहले प्रशासन को चाहिए कि चौराहों पर लगी सफेद हाथी बनी खड़ी दिखाई दे रही लाल बत्तियों को चालू कराया जाए। शहर में पार्किंग का प्रबंध किया जाए, ताकि न केवल उन्हें यातायात जाम से मुक्ति मिले, बल्कि उनका आवागमन भी सुलभ हो सके।