रेवाडी: सुनील चौहान। जिले में पांच साल पहले डेंगू ने कहर बरपाया था । सीजन में डेंगू पीडि़तों की तादाद 201 तक पहुंची थी, लेकिन इस बार उसका रिकाॅर्ड टूट गया है । अभी तक पॉजिटिव रोगियों की तादाद 270 का आकंडा पार कर चुकी है। जिनमें ज्यादातर मरीज निजी अस्पतालों में उपचाराधीन बताए गए हैं। तेजी से बढ रहे डेंगू के मरीजो ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उडा दी है। तेजी से बढ रहे कसो के चलते निजी अस्पतालों में बेड कम पड़ने लगे हैं, गंभीर मरीजों को हिसार व रोहतक रेफर किया जाने लगा है । तीन दिनों में प्लेटलेट्स की डिमांड डबल हो गई है । ब्लड बैंक में रोजाना पीडि़तों के 150 परिजन प्लेटलेट्स लेने पहुंचते हैं । दो बैग प्लेटलेट्स मांगने पर एक यूनिट मिल पाता है । क्योंकि डिमांड बढ़ने से प्लेटलेट्स का स्टॉक इन दिनों खत्म हो गया है . इसलिए रक्तदानी साथ लेकर आने की सलाह दी गई है । दूसरी तरफ नागरिक अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड कंपोनेट मशीनें चार साल से धूल फांक रही हैं । अगर कंपोनेट सैपरेटर यूनिट संचालित होती है, तो डेंगू मरीजों को राहत मिलने के आसार हैं ।
पिछले साल सिर्फ 19 केस थे
मौजूदा सीजन में डेंगू पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 270 हो गया है । जबकि पिछले सप्ताह शहर के कीर्तिनगर निवासी 15 वर्षीय किशोरी की डेंगू से मौत हो चुकी है। हालांकि विभाग ने उसको कंफर्म नहीं किया है। इससे पांच साल पहले वर्ष 2015 के दौरान जिले में डेंगू ने कहर बरपाया था । डेंगू पीडि़तों की तादाद 201 तक पहुंची थी, आशंकितों का आंकड़ा 803 हो गया था । वहीं 6 डेंगू पॉजिटिव रोगियों को जान गंवानी पड़ी थी । उसके बाद डेंगू मरीजों का आंकड़ा 200 के पार नहीं पहुंचा था । हालांकि वर्ष 2018 में एक नर्स की मौत डेंगू से हुई थी । वर्ष 2019 में डेंगू के 87 केस आए, बल्कि पिछले साल मात्र 19 डेंगू पॉजिटिव केस सामने आए थे । लेकिन इस बार मरीजों की तादाद में लगातार इजाफा हो रहा है।
ग्रामीण इलाकों में नहीं हो सकी फोगिंग:
जिले में शहरों के अलावा 327 से ज्यादा गांव हैं, जिनमें डेंगू की रोकथाम के तहत फोगिंग नहीं हो सकी है । एक आध गांव में फोगिंग की बेशक खानापूर्ति करवाई गई, मगर मच्छरों का खतरा बरकरार है । गांवों में फोगिंग करवाने की जिम्मेदारी पंचायत की होती है, लेकिन गांव में सरपंचों का कार्यकाल खत्म हो चुका है । जिसकी पावर संबंधित बीडीपीओ के पास है । विभाग ने फोगिंग करवाने की जहमत तक नहीं उठाई है । जहां गलियों में जमा गंदा पानी एकत्रित है । बरसाती पानी में मच्छर पनप रहा है ।