नप रेवाडी मामला: मांगने गए थे न्याय, मिला तीन साल का बैन, जानिए क्या है मामला

भ्रष्टाचार की आवाज उठाने वाले ठेकेदार की ही मिली सजा
रेवाड़ी: सुनील चौहान। कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि “चले थे नमाज पढ़ने रोजा गले पड़ गए” यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है रेवाड़ी नगर परिषद में बागवानी का ठेका लेने वाले शीशराम पर,जी हां शीशराम वही शख्स है जो गत 7 जून को उसके द्वारा किए गए बागवानी कार्यों का बकाया लेने नगर परिषद में अपने कुछ साथियों के साथ पहुंचे थे । शीशराम का आरोप है कि जब वे अपना पैसा मांगने गए तो वहां पर अधिकारियों ने उनसे कमीशन की मांग की तथा इससे पहले भी वह 17 से 20 परसेंट तक का कमीशन इन अधिकारियों को दे चुका था बाकायदा शीशराम ने अधिकारियों के नाम भी उजागर किए थे । अब शीशराम लेने तो गए थे अपना बकाया लेकिन नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी ने उल्टा उन पर ही राजकार्य में बाधा डालने का मुकदमा दर्ज करवा दिया। कई दिन तक सलाखों की हवा खाने के बाद जब वह बाहर आया तो नगर परिषद के अधिकारियों ने उसके कार्यों की जांच कराने के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया। कमेटी ने जांच करनी थी कि क्या शीशराम ने पार्को में बागवानी की थी या नहीं, यह कमेटी भी शीशराम ने कमीशन खोरी के आरोप लगाने के बाद बनाई। अधिकारियों ने अपने चहेते पार्षदों को इस कमेटी में शामिल किया और जांच में पाया की शीशराम ने बागवानी का कार्य ठीक ढंग से नहीं किया। यह अलग बात है कि इस जांच कमेटी में एक भी बागवानी का विशेषज्ञ नहीं था। शीशराम द्वारा कमीशन खोरी के आरोपों पर जिले के तमाम बड़े अधिकारियों से लेकर राजनेताओं तक ने चीख -चीख कर मीडिया के कैमरे के सामने कहा था कि नई सरकार में भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा तथा मामले की जांच करा कर दोषी अधिकारियों को सजा दी जाएगी। लेकिन करीब 5 माह बीतने के बावजूद आज तक जांच नहीं हुई बल्कि शीशराम को ही प्रताड़ित किया जाता रहा। जांच तक मे भी उसे शामिल नहीं किया गया। आप देख सकते हैं कि शीशराम कैसे नगर परिषद में चीख चीख कर कह रहा है के अधिकारी उनके बिल पास कराने के नाम पर कमीशन की मांग कर रहे हैं। अब हम आपको दूसरा दृश्य दिखाते हैं। शीशराम थक हार कर न्याय मांगने गत 30 जुलाई को बाल भवन में आयोजित कष्ट निवारण की बैठक में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री ओम प्रकाश यादव के समक्ष पेश होकर गिड़गिड़ा रहा है की जनाब मुझे न्याय दो, कमीशन लेने वाले दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। मंच पर जिले के डीसी, नगर परिषद की चेयरपर्सन सहित परिषद के तमाम अधिकारी बैठे हुए है। राज्य मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि 15 दिन के अंदर -अंदर मामले की जांच हो । लेकिन 2 माह से अधिक समय बीतने के बावजूद भी आज तक शीशराम की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई बल्कि जिस अधिकारी पर कमीशन लेने का आरोप लगाया था उसी अधिकारी ने पत्र जारी कर उसे 3 वर्षों के लिए नगर परिषद में काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया। शीशराम मांगने तो गया था न्याय उल्टे मिला कार्रवाई का पत्र। विपक्ष भी जांच की मांग कर चुकी है लेकिन ताज्जुब देखिए करीब 5 माह बीतने के बावजूद भी सरकार ने जांच कराने तक की जहमत नहीं उठाई। आम जनता जानना चाहती है कि आखिर किसकी शह पर इस मामले से लेकर अन्य दर्जनों मामलों की जांच नहीं करायी जा रही । आखिर किसकी शह पर नगर परिषद में अधिकारियों का तबादला करने व तबादला करने के बाद तुरंत वापस लाने का कार्य हो रहा है। आखिर आज तक क्यों किसी भी बड़े मामले की जांच नहीं हुई। इन सभी सवालों का जवाब न पहले कभी मिला और जनता को न मिलने की उम्मीद लेकिन इतना जरूर है शीशराम पढ़ने गए थे नवाज लेकिन उनके रोजा गले पड़ गए।