Haryana News: एक बार फिर अरावली पहाड़ियों की हरियाली और बायोडायवर्सिटी खतरे में है। नूंह जिले के बार गुज्जर और पास के कोटा इलाके में प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और इंडस्ट्रियल कचरे का अवैध धंधा खुलेआम फल-फूल रहा है।
पिछले दो दिनों में इंडस्ट्रियल कचरे की वजह से अरावली इलाके में लगी भीषण आग ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं और मानेसर और आसपास के इलाकों में हवा को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। अरावली के जंगलों में डेढ़ से दो एकड़ ज़मीन पर इंडस्ट्रियल कचरे का बड़ा ढेर लगा हुआ है।
यहां खुले गड्ढों में प्लास्टिक कचरे को पिघलाने के लिए आग लगाई जा रही है। मौके पर कई गैस सिलेंडर भी मिले, जिससे पता चलता है कि यह काम सिस्टमैटिक तरीके से किया जा रहा था। आग की लपटों और उठते काले धुएं से पूरा इलाका गैस चैंबर बन गया है। दोनों जगहों पर भीषण आग लगी, जिसका कारण शायद रीसाइक्लिंग प्रक्रिया थी।
फायर फाइटर सुभाष दलाल ने बताया कि मानेसर, सोहना और गुरुग्राम फायर स्टेशनों से फायर टेंडर मौके पर पहुंचे। घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका।
आग बुझने के बाद भी पश्चिम दिशा से धुआं उठता रहा, जिससे पास के गांवों और इंडस्ट्रियल इलाकों के लोगों को सिरदर्द, सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन हुई। पिछले दो महीनों से मानेसर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) पूरे NCR में टॉप कैटेगरी में रहा है, और अभी तक कोई राहत नहीं मिली है। नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, HSIDC और वन विभाग ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
ज़हरीली गैसों का रिसाव
एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्लास्टिक और इंडस्ट्रियल कचरे को जलाने से डाइऑक्सिन, फ्यूरान, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी बेहद ज़हरीली गैसें निकलती हैं। ये गैसें लंबे समय तक हवा में रहती हैं, जिससे फेफड़ों, दिल और नर्वस सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है।
इसके बावजूद, IMT मानेसर इलाके में इंडस्ट्रियल कचरे के मैनेजमेंट और इंस्पेक्शन के लिए कोई मज़बूत सिस्टम नहीं है। अक्टूबर से गुरुग्राम और मानेसर में हवा की क्वालिटी खराब है। बुधवार को गुरुग्राम में UI (अर्बन इंडेक्स) 279 और मानेसर में 238 रिकॉर्ड किया गया।
नियमों का उल्लंघन, कचरा निपटान की कोई सही व्यवस्था नहीं
चिंता की बात यह है कि इंडस्ट्रीज़ से निकलने वाले ठोस कचरे को सुरक्षित तरीके से ठिकाने लगाने या रीसायकल करने के लिए कोई प्रभावी सिस्टम नहीं है। अवैध धंधे अरावली के जंगलों को कचरागाह बना रहे हैं। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, HSIDC और नगर निगम ने अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की है, जिससे इन अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है।
वन विभाग जांच के दायरे में
वन विभाग की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। संरक्षित अरावली क्षेत्र में इस तरह की गतिविधियां लंबे समय से चल रही हैं, लेकिन संबंधित अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। जंगलों में लगने वाली आग न सिर्फ पेड़ों और वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि मिट्टी और भूजल को भी प्रदूषित करती है। पर्यावरणविदों का कहना है कि अगर समय पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो अरावली रेंज का यह हिस्सा पूरी तरह से बर्बाद हो सकता है।
















