Hariyana:प्रदेश के अफसरों ने सरकार के नाक में दम कर कर रखा है। ना तो अफसर सरकार की सुनते हैं और ना ही जनता की सुनते हैं। जनता का मजाक बनाने वाले अफसर ना तो कैबिनेट मंत्रियों की सुनते हैं और ना ही मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सुनते हैं। एक रिपोर्ट ने अब इन अफसरों की पोल खोल दी है। और यह बता दिया है कि हरियाणा में अफसरशाही का हाल कितना बदहाल है। इस रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि कैसे हरियाणा के अफसर काम के प्रति लापरवाही में चैंपियन साबित हो रहे हैं। अफसर शाही प्रदेश में इतनी बेलगाम है कि इन्हें सरकार का रत्ती भर भी डर नहीं है। जिस रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है वह न सिर्फ अफसरों की दादागिरी की पोल खोलती है।
बल्कि सरकार के फैसलों तथा एक्शन पर भी सवाल उठाती है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे मुख्यमंत्री नायब सैनी के पास जो महकमें है उनके अधिकारी लापरवाही की लगातार चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत रहे हैं। यह रिपोर्ट यह बताती है कि कैसे “गब्बर” के नाम से विख्यात कैबिनेट मंत्री अनिल विज की डाट और लताड़ भी अफसरों को नहीं सुधार पा रही है। एक वर्ष पूर्व विधानसभा चुनाव के वक्त अफसरों की चूड़ी टाइट करने की बात प्रदेश के मुखिया नायब सैनी द्वारा कही गई थी।
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा था की अधिकारी खुद बदल जाये वरना ऐसी चूड़ी टाइट करूंगा कि चिंघाड़ निकल आएगी। आज मुख्यमंत्री की इस चेतावनी को 1 वर्ष से अधिक समय हो गया। लेकिन मुख्यमंत्री अधिकारियों की चूड़ी टाइट नहीं कर पाए। उल्टा उन्हीं अधिकारियों ने अपनी लापरवाही से सरकार व जनता की चिंघाड़ निकाल दी।
अफसरों की लापरवाही का सबसे बड़ा असर तो खुद मुख्यमंत्री के पास जो महकमें है उनमें देखने को मिल रहा है। गृह मंत्रालय के अधिकारी जनता के कार्यों को करने की बजाय लटकाने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। हाल में आई ग्रीवेंस कमेटी के सदस्यों की फीडबैक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है कि सूबे में अफसर लापरवाह हो चुके हैं और जनता लापरवाही की मार झेल रही है।
जनता की समस्याओं को हल करने के लिए प्रत्येक जिले में ग्रीवेंस की बैठक आयोजित की जाती है। अधिकारी लोगों की समस्याओं को सुनते हैं और उनका निदान करते हैं। स्वयं मुख्यमंत्री भी ग्रीवेंस कमेटी की बैठक लेते हैं। लेकिन हाल ही में सरकार को यह जानने की इच्छा हुई की ग्रीवेंस की बैठक में जितनी भी शिकायतें आ रही है।
उन शिकायतों का पूरा समाधान हो रहा है या नहीं इसके लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और संगठन के बीच सीएम आवास में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। प्रत्येक जिले से यह फीड बैक आया कि कुछ अवसर जानबूझकर आम लोगों के कार्य को लटका रहे हैं। इसके बाद बैठक में यह फैसला लिया गया कि ग्रीवेंस कमेटी के सदस्य इन विभागों व अधिकारियों पर नजर रखेंगे। जब ग्रीवेंस कमेटी के सदस्यों ने नजर रखनी शुरू की तो परिणाम वैसा ही आया जैसी सरकार को शिकायतें मिली थी। सरकार के पास पहुंची ग्रीवेंस की पहली रिपोर्ट में पांच विभागों के कार्यों का फीडबैक दिया गया था।
इसमें गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पुलिस विभाग के 33 ऐसे अफसर हैं जिनका रिपोर्ट में नाम दिया गया है। इसके अलावा कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल के राजस्व विभाग के 32 अफसरों की लापरवाही सामने आई है। श्याम सिंह राणा के कृषि विभाग में 29, अनिल विज के ऊर्जा विभाग में 27, आरती राव के स्वास्थ्य मंत्रालय में 17 ऐसे अफसर है जो लोगों के कार्यों को करने में देरी कर रहे हैं और फाइलों को लटका रहे हैं। यह पहली ही रिपोर्ट है, मतलब अभी तक कुछ ही अधिकारियों पर नजर रखी गई है।
न जाने ऐसे कितने अधिकारी होंगे जो जनता के पैसों से वेतन तो ले रहे हैं लेकिन जनता का काम नहीं कर रहे। रिपोर्ट के बाद अब सरकार ऐसे अफसरों पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने सीएमओ के अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं कि लापरवाह अफसरों व कर्मचारियों का फीडबैक लिया जाए और उनकी संपत्ति की भी जांच की जाए। हरियाणा में अफसर शाही हमेशा सरकार पर हावी रही है या फिर सरकार के लिए सबसे बड़ी सिर दर्द साबित हुई है। इसीलिए शायद मुख्यमंत्री नायब सैनी को भी अफसर की चूड़ी टाइट करने में मुश्किलें आ रही है।
और यही मुश्किलें उनके रिपोर्ट कार्ड को खराब कर रही है। हाल ही में भाजपा आला कमान द्वारा सरकार के कामकाज को लेकर एक सर्वे कराया गया था। सर्वे में सरकार के अनेक कार्यों की तारीफ तो गईं लेकिन प्रशासनिक पकड़ को कमजोर पाया गया। इसके लिए उन्हें 100 में से 50 से भी कम नंबर दिए गए। शायद सीएम का यह कमजोर प्रदर्शन इन्हीं कर्मचारियों की बदौलत हुआ होगा। क्योंकि यह अधिकारी सरकार या सीएम की सुनते ही नहीं अगर सुनते तो शायद आज जनता परेशान नहीं होती। एक तरफ जनता खून पसीना बहा कर सरकार को टैक्स देती है।
वहीं दूसरी ओर उन्ही टैक्स के पैसों से पगार लेने वाले अफसर कुर्सी पर लेटे-लेटे सुनहरे सपने देखते रहते हैं। जनता की शिकायतों को लटकाते रहते हैं। जनता की इन्हीं छोटी-छोटी शिकायतों का कार्यालय में जब हल नहीं निकलता है तो इन समस्याओं को ग्रीवेंस की बैठक में रखना पड़ता है। ग्रीवेंस की जो रिपोर्ट आई है उसको पढ़कर ऐसा ही लगता है की शिकायतें तो दर्ज हो रही है लेकिन अंदाज तो पुराना वाला ही है यानी नील बटा सन्नाटा। वैसे देखा जाए तो हरियाणा में अफसरों की लापरवाही की लीला कोई नई बात नहीं है। चाहे बीजेपी की सरकार रही हो या फिर कांग्रेस की हाल ऐसा ही रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल तथा ओमप्रकाश चौटाला की अफसर शाही पर पकड़ मजबूत मानी जाती रही है। इसके अलावा अधिकांश मुख्यमंत्री ऐसे रहे हैं जिनकी अफसर शाही पर कमजोर पड़ रही है। मुख्यमंत्री नायब सैनी से पहले मनोहर लाल खट्टर के समय भी अफसर शाही का आलम ऐसा ही हुआ करता था। भाजपा के नेता और विधायक अफसरों की दादागिरी और लापरवाही से हमेशा परेशान रहे हैं।
पिछले माह ही विधायक रामकुमार गौतम का बयान आया था जिसमें रामकुमार गौतम यह कहते हुए नजर आए की कार्यालयों में अधिकारी पैसे लेते हैं। इससे पहले बीजेपी के कई नेता और विधायक ऐसे ही बयान दे चुके हैं।
गीता जयंती के समापन अवसर पर महेंद्रगढ़ के विधायक कंवर सिंह ने भी अधिकारियों को डांट पिलाते हुए मुख्यमंत्री तक से शिकायत करने की बात कही। बतौर मुख्य अतिथि कंवर सिंह गीता जयंती समारोह में पहुंचे थे लेकिन समारोह से अधिकारी नदारद रहे। मंच से ही विधायक कंवर सिंह ने अधिकारियों को लताड़ लगाई और मुख्यमंत्री से शिकायत करने की भी बात कही।

















