Haryana News: हरियाणा के करनाल में नए भाजपा कार्यालय तक जाने वाली सड़क बनाने के लिए 40 पेड़ उखाड़े जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि इतने पेड़ क्यों काटे गए और इन पेड़ों का क्या किया गया। कोर्ट ने साफ चेतावनी दी कि अगर आगे ऐसी लापरवाही हुई तो राज्य और संबंधित विभागों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। साथ ही कोर्ट ने पूरे मामले में सुधारात्मक योजना भी मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जे बी पार्डीवाला और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन शामिल हैं, 1971 के युद्ध के वेटरन कर्नल (सेवानिवृत्त) दविंदर सिंह राजपूत की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में आरोप लगाया गया कि करनाल के सेक्टर-9 की आवासीय कॉलोनी में राजनीतिक दल को जमीन आवंटित कर उसके कार्यालय तक सड़क बनाने के लिए हरित पट्टी में 40 पेड़ काटे गए। कोर्ट ने हरियाणा सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से इस पर स्पष्टीकरण मांगा।
सरकार का पक्ष और कोर्ट की नाराजगी
एएसजी विक्रमजीत बनर्जी ने बताया कि सभी जरूरी अनुमति ली गई थीं और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने हरित मानकों का पालन किया है। उन्होंने यह भी कहा कि काटे गए पेड़ों की संख्या के बराबर नए पौधे लगाए जाएंगे। लेकिन कोर्ट इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुई और कहा कि पेड़ वापस नहीं आते। कोर्ट ने पूछा कि पेड़ों के नुकसान की भरपाई कौन करेगा और चेतावनी दी कि बिना अनुमति कोई विकास कार्य न किया जाए।
याचिकाकर्ता का आरोप और भूमि का इतिहास
कर्नल राजपूत ने बताया कि उन्होंने 36 साल पहले हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण से एक हजार वर्ग गज का भूखंड खरीदा था जो हरित पट्टी के पास था। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक दल को जमीन अनियमित तरीके से आवंटित की गई और सड़क बनाने के लिए पेड़ काटे गए। उनका कहना है कि इससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई से पहले पूरी जानकारी, पेड़ों की भरपाई की योजना और भूखंड आवंटन से जुड़ा रिकॉर्ड जमा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पर्यावरण संरक्षण के नियमों का उल्लंघन गंभीर मामला है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।

















