Delhi में मुख्यमंत्री Rekha Gupta के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बनने के बाद अब पहला बड़ा राजनीतिक परीक्षण सामने आया है। राजधानी दिल्ली के 12 नगर निगम (MCD) वार्डों में उपचुनाव हो रहे हैं, जहां बीजेपी, आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। इन 12 सीटों में से नौ सीटें पहले बीजेपी के पास थीं और तीन AAP के पास थीं। शालीमार बाग़-बी और द्वारका-बी सीटों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि पूर्व काउंसिलर और वर्तमान मुख्यमंत्री Rekha Gupta शालीमार बाग़-बी सीट से और बीजेपी सांसद कमलजीत सहारावत द्वारका-बी सीट से जुड़े रहे हैं। बाकी सीटें इसलिए खाली हुईं क्योंकि काउंसिलर अब विधायक बन गए हैं।
इन उपचुनावों में हर सीट पर तीनों प्रमुख दलों के उम्मीदवार मैदान में हैं। मंडका सीट पर कांग्रेस के मुकेश, बीजेपी के जयपाल सिंह डारल और AAP के अनिल लाकड़ा प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। शालीमार बाग़-बी सीट पर कांग्रेस की सरिता कुमारी, बीजेपी की अनीता जैन और AAP की बबिता अहलावत उम्मीदवार हैं। इसी तरह अशोक विहार, द्वारका-बी, चांदनी चौक, दीचौं कालान, नरायणा, संगम विहार-ए, दक्षिनपुरी, ग्रेटर कैलाश, विनोद नगर और चांदनी महल सीटों पर तीनों दलों के उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इन उपचुनावों में जीत का समीकरण हर दल के लिए महत्वपूर्ण है।
BJP के लिए सियासी महत्व
दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने के बाद ये उपचुनाव पार्टी के लिए पहला वास्तविक परीक्षा है। शालीमार बाग़-बी सीट पर Rekha Gupta के चुनावी प्रभाव का परीक्षण होगा, जबकि द्वारका-बी सीट बीजेपी सांसद कमलजीत सहारावत से जुड़ी है। इसके अलावा विनोद नगर सीट पर बीजेपी विधायक रविंद्र सिंह नेगी का दबदबा रहा है। इन वार्डों में जीत बीजेपी की साख और दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। खासकर पुराने दिल्ली के वार्ड जैसे चांदनी चौक और चांदनी महल, जहां AAP पिछली बार बड़ी जीत हासिल कर चुकी है, बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होंगे।
मुख्यमंत्री ने पूरी रणनीति बनाई
मुख्यमंत्री Rekha Gupta ने MCD उपचुनावों में जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी रणनीति तैयार की है। छह दिल्ली मंत्रियों को प्रत्येक दो-दो वार्डों का चुनाव प्रभारी बनाया गया है। चुनाव प्रभारी और समन्वयकों को बूथ स्तर पर प्रत्यक्ष निगरानी, घर-घर संपर्क और प्रभावी अभियान रणनीति बनाने का जिम्मा दिया गया है। बीजेपी इस चुनाव में स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके और सीधे मतदाताओं से जुड़कर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है। 27 साल बाद दिल्ली में सत्ता संभालने वाली बीजेपी के लिए यह उपचुनाव पार्टी की साख और भविष्य की राजनीति तय करने वाला साबित होगा।

















