Haryana: देश के पहले अंतरराज्यीय सेमिनार का आयोजन हरियाणा फूड एंड ड्रग प्रशासन विभाग द्वारा शनिवार को किया गया, जिसमें सात राज्यों ने नकली दवाओं और एनडीपीएस दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए मिलकर काम करने की इच्छा जताई। इस सेमिनार में हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़ और दिल्ली के ड्रग कंट्रोलर्स, पुलिस और सीआईडी अधिकारी शामिल हुए। उन्होंने कार्य योजनाओं पर चर्चा की और अंतरराज्यीय जानकारी साझा करने और प्रवर्तन अधिकारियों को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया।
इस अवसर पर सेवानिवृत्त अधिकारियों ने भी अपने सुझाव साझा किए। गुजरात और महाराष्ट्र के पूर्व अधिकारी इस चर्चा में शामिल हुए। सेमिनार का उद्घाटन करते हुए हरियाणा के स्वास्थ्य सचिव सुदीप राजपाल ने कहा कि नकली दवाओं और एनडीपीएस तस्करी का मुद्दा केवल स्थानीय नहीं है, बल्कि यह राज्यों के बीच साझा चुनौती है। उन्होंने डेटा साझा करने और पारदर्शी समन्वय के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि सभी हितधारकों को ईमानदारी और जिम्मेदारी के साथ कार्य करना चाहिए।
हरियाणा फूड एंड ड्रग प्रशासन विभाग के आयुक्त डॉ. मनोज कुमार और राज्य ड्रग कंट्रोलर ललित कुमार गोयल ने एनडीपीएस मामलों में उपलब्धियों को रेखांकित किया और सीमा राज्यों के बीच समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि केवल राज्य स्तर पर कार्रवाई से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि सभी राज्यों के बीच सहयोग और जानकारी साझा करना जरूरी है।
गुजरात के पूर्व डीजीपी और सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक डॉ. केशव कुमार ने भारत फार्मास्यूटिकल एलायंस द्वारा बनाए जा रहे राष्ट्रीय डेटाबेस की जानकारी साझा की और फॉरेंसिक साइंस की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने नकली और अशुद्ध दवाओं के कारण बच्चों की मौतों पर चिंता व्यक्त की और दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
महाराष्ट्र के सेवानिवृत्त संयुक्त आयुक्त और राज्य ड्रग कंट्रोलर ओ.एस. साधवानी तथा हिमाचल प्रदेश के राज्य ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने नियंत्रित पदार्थों की अवैध तस्करी और दुरुपयोग को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस समस्या का समाधान केवल सरकार द्वारा नहीं किया जा सकता, बल्कि इसके लिए कई हितधारकों की सहभागिता और एक संयुक्त रणनीति आवश्यक है।
ललित कुमार गोयल ने लेबलिंग और पैक साइज़ पर चर्चा के सत्र की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि सेमिनार में सामने आए निष्कर्षों को भविष्य में अंतरराज्यीय रणनीतियों को मजबूत करने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों को भेजा जाएगा। इस तरह से यह प्रयास नकली दवाओं और एनडीपीएस दुरुपयोग से निपटने में कारगर साबित हो सकता है।
अंतरराज्यीय सहयोग के महत्व पर जोर
इस सेमिनार ने स्पष्ट कर दिया कि नकली दवाओं और नियंत्रित पदार्थों की तस्करी जैसी समस्याओं का समाधान केवल एक राज्य के प्रयासों से संभव नहीं है। सभी राज्यों के बीच सूचना साझा करना, अधिकारियों का प्रशिक्षण और समन्वित कार्रवाई इस चुनौती से निपटने की कुंजी हैं।
विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया कि राष्ट्रीय डेटाबेस का निर्माण और फॉरेंसिक साइंस का सही उपयोग, बच्चों और नागरिकों को नकली दवाओं से सुरक्षित रखने में मदद करेगा। भविष्य में इस तरह के अंतरराज्यीय सहयोग से देश में दवा सुरक्षा और कानून के प्रवर्तन में सुधार की उम्मीद बढ़ेगी।

















