Gurugram में नगर निगम द्वारा कचरा डंपिंग स्थलों की संख्या कम कर दी गई है, लेकिन इसके बावजूद लोगों ने अपने घरों के पास गुरुग्राम नहर में कचरा डालना शुरू कर दिया है। नहर के पानी में कचरे की मोटी परत जम गई है, जिससे किसानों को खेती में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सिंचाई विभाग ने नगर निगम प्रशासन को कई पत्र लिखकर इस समस्या की ओर ध्यान दिलाया, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। किसानों का कहना है कि नहर में डाला गया कचरा उनके खेतों में चला जाता है और पौधों की वृद्धि में बाधा डालता है।
नगर निगम ने शहर में घर-घर कचरा संग्रह योजना शुरू की थी, लेकिन अब शहर में कचरा उठाने वाली गाड़ियां दिखाई नहीं दे रही हैं। नगर निगम ने शहर में कचरा डंपिंग स्थलों की संख्या सिर्फ सात कर दी है। लोग अब कचरा इन गड्डों में नहीं डाल रहे हैं और नहर के किनारे कचरा फेंक रहे हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर बायपास तक कई जगहों पर यह समस्या देखने को मिल रही है। निगम रोजाना गड्डों से कचरा इकट्ठा करता है, लेकिन नहर में फेंका गया कचरा खेतों में चला जाता है। इसके साथ बहते प्लास्टिक और पॉलीथीन पाइपलाइन जाम कर देते हैं और फसलों के विकास में बाधा डालते हैं।
नहर की सिंचाई और कृषि पर प्रभाव
गुरुग्राम नहर फरीदाबाद, सोहना (गुरुग्राम जिला), पुनहाना, पिनंगवा, फिरोजपुर झिरका (नूह जिला) और राजस्थान के भरतपुर जिले के क्षेत्रों में सिंचाई करती है। नहर में पॉलीथीन, थर्मोकोल और अन्य अपशिष्ट बहते हैं, जिससे खेत जोतना और पाइपलाइन द्वारा सिंचाई करना कठिन हो गया है। किसान श्याम सुंदर नंबरदार ने बताया कि नहर में फेंका गया कचरा खेतों में पानी की निकासी और सिंचाई में बाधा डालता है। वहीं फतेहपुर टागा के नादर ने कहा कि पानी खेतों में पाइपलाइन के जरिए जाता है, लेकिन पॉलीथीन पाइपलाइन जाम कर देती है, जिससे बार-बार खुदाई करनी पड़ती है।
नगर निगम और जिम्मेदार अधिकारी क्या कह रहे हैं
नगर निगम के संयुक्त आयुक्त करण सिंह भगोरिया ने बताया कि वे रोज नहर के किनारों से कचरा इकट्ठा करते हैं। अगर कोई नहर में कचरा डालता है, तो यह गलत है। लोग सुबह पांच बजे अंधेरे में कचरा डालते हैं, इसलिए निगम के तीन-चार कर्मचारी तैनात कर लोगों को दंडित करता है। वहीं, सिंचाई विभाग के उप-प्रशासक अरविंद शर्मा ने कहा कि लोगों को कचरा डालने से रोकने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। अब तक निगम ने जिम्मेदारी टालकर कर्मचारियों को नहर पर भेजा, जबकि सिंचाई विभाग के पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है। इस समस्या का स्थायी समाधान जल्द ढूंढा जाना चाहिए ताकि किसानों और शहरवासियों दोनों की परेशानियों को कम किया जा सके।

















