Haryana News: हरियाणा में रबी सीजन की फसलें बोने के साथ ही डीएपी खाद की उपलब्धता को लेकर असमानता साफ नजर आ रही है। कुछ जिलों जैसे सिरसा, रोहतक और झज्जर में किसानों को खाद आसानी से मिल रही है। लेकिन फतेहाबाद, भिवानी, अंबाला और चरखी दादरी जैसे जिलों में किसानों को खाद की भारी किल्लत और कालाबाजारी का सामना करना पड़ रहा है।
कृषि विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार प्रदेश में लाखों टन डीएपी खाद पहुंच चुकी है। इसके बावजूद कई इलाकों में किसान दुकानों के बाहर लाइन में खड़े दिख रहे हैं और स्टॉक खत्म होने के बोर्ड लगे हैं। निजी दुकानों पर डीएपी खाद 1500 रुपये प्रति बैग तक बिक रही है। किसानों की यह स्थिति काफी निराशाजनक है। कई जिलों में किसान मजबूर होकर एनपीके खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे फसलों की जड़ें कमजोर हो रही हैं और पैदावार पर नकारात्मक असर पड़ने का खतरा बढ़ गया है। भिवानी के एक किसान ने बताया कि खाद के लिए इंतजार करना पड़ रहा है जबकि गोदामों में खाद पड़ी हुई है।
हरियाणा को इस रबी सीजन में लगभग 3.5 लाख मीट्रिक टन डीएपी खाद की जरूरत है। नवंबर के पहले सप्ताह तक करीब 2.05 लाख मीट्रिक टन खाद आ चुकी है, लेकिन किसानों तक औसतन केवल 35-40 प्रतिशत ही पहुंच पाई है। खाद वितरण में ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकृत किसानों को ही प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे बिना पंजीकरण वाले किसान खाद से वंचित रह गए हैं। कोआपरेटिव सोसायटियों के माध्यम से लगभग 60 प्रतिशत खाद जा रही है और बाकी 40 प्रतिशत निजी दुकानों से। निजी दुकानों पर खाद के दाम सरकारी दाम से 100 से 300 रुपये अधिक वसूले जा रहे हैं।
राहत की उम्मीद
सिरसा, करनाल, कैथल और झज्जर में नए रैक आने से खाद की उपलब्धता में सुधार की उम्मीद है। वहीं, अंबाला, फतेहाबाद और भिवानी में अगले सप्ताह नए रैक के आने का इंतजार है। इससे खाद की कमी को कम करने में मदद मिलेगी।

















