Haryana: राज्य सरकार ने 1 नवंबर से पूरे राज्य में पेपरलेस रजिस्ट्री सिस्टम लागू कर दिया है। लेकिन इस नई प्रणाली में जानकारी की कमी और तकनीकी खामियों के कारण यह सुविधा के बजाय लोगों के लिए परेशानी का कारण बन रही है। नई प्रणाली ने रजिस्ट्री की गति को भी धीमा कर दिया है। वकील और कर्मचारियों को भी इस प्रणाली के तहत रजिस्ट्री करने में कठिनाई हो रही है। लोग अभी तक इस नए सिस्टम के साथ सहज नहीं हैं। दैनिक जागरण के संवाददाता ने मंगलवार को लगभग 12 बजे तहसील कार्यालय का दौरा कर नई प्रणाली की स्थिति का जायजा लिया।
नई प्रणाली में लोगों और वकीलों की उलझन
तहसील कार्यालय में नई प्रणाली के कारण परिसर खाली नजर आ रहे थे, लेकिन कुछ लोग जानकारी लेने आए थे। वकील अंकुर तहसीलदार से नए सिस्टम और आवश्यक दस्तावेजों के बारे में जानकारी ले रहे थे। आगे की जांच में यह भी पता चला कि रजिस्ट्री कराने वाले वकील भी नई प्रणाली के नियमों से पूरी तरह परिचित नहीं हैं और जानकारी जुटाने में जुटे हुए हैं। वहीं, जमीन के खरीदार और विक्रेता भी भ्रमित हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि नई प्रणाली के साथ पुराने रजिस्ट्री सिस्टम को बंद कर दिया गया है और अब सभी रजिस्ट्री संबंधित कार्य डिजिटल माध्यम से किए जाएंगे।
नई प्रणाली के तहत रजिस्ट्री प्रक्रिया
नई प्रणाली में रजिस्ट्री कराने वाले को तहसील सिर्फ एक बार ही आना होगा। इसके अलावा, घर बैठे ही रजिस्ट्री का पूरा प्रोसेस पूरा किया जा सकता है। इसमें आधार और OTP द्वारा सत्यापन, स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्री शुल्क का ऑनलाइन भुगतान, और उप-रजिस्टार के साथ अपॉइंटमेंट बुक करना शामिल है। हालांकि तकनीकी खामियों और जागरूकता की कमी के कारण रजिस्ट्री की संख्या पहले के मुकाबले बहुत कम हो गई है। पहले पनाहना तहसील में प्रतिदिन 10 से 15 रजिस्ट्री होती थीं, लेकिन नई प्रणाली के पहले दिन केवल एक और दूसरे दिन केवल तीन रजिस्ट्री हुईं।
तकनीकी खामियां और समय की बर्बादी
नई प्रणाली में कुछ खामियों के कारण लोगों और वकीलों को काफी समय और मेहनत लग रही है। मंगलवार को शबनम (मिलखेड़ा, राजस्थान), साहुनी (रंगाला, फिरोजपुर झिरका), और अरशद (मनोटा) ने अपनी जमीन की रजिस्ट्री कराई, लेकिन उन्हें काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। वसीका वकीलों जैसे रफीक और मुस्तक ने बताया कि नए सिस्टम में शेयर की रजिस्ट्री अभी भी पोर्टल पर नहीं हो रही है। पहले दो या अधिक भाई या साझेदार एक ही रजिस्ट्री में जमीन बेच सकते थे, जबकि नई प्रणाली में केवल एक व्यक्ति ही जमीन खरीद या बेच सकता है। इससे लोगों को अतिरिक्त समय, खर्च और असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

















