Haryana Weather: हरियाणा में हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है। आज सुबह राज्य के कई हिस्सों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरनाक स्तर पर दर्ज किया गया। सबसे खराब हवा बेगमपुर में पाई गई, जहां AQI 850 दर्ज किया गया। वहीं, राहत की बात यह है कि नारनौल में हवा की गुणवत्ता सबसे अच्छी रही, जहां AQI 142 दर्ज किया गया। सुबह 7 बजे हरियाणा का औसत AQI 236 रहा, जो अभी भी “खराब” श्रेणी में आता है। हालांकि, कल की तुलना में आज AQI में 50 से अधिक अंकों की गिरावट दर्ज की गई है, जो लोगों के लिए राहत की खबर है।
आज सुबह देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों, गांवों और कस्बों में हरियाणा के चार स्थान शामिल रहे। इनमें बेगमपुर (AQI 850) तीसरे, नौल्था (AQI 657) चौथे, करनाल (AQI 627) और कैमला (AQI 557) भी खतरनाक स्थिति में हैं। इसके अलावा पानीपत (AQI 460), फरीदाबाद (323), रोहतक (318), सिरसा (308), फतेहाबाद (306) और कुरुक्षेत्र (304) में भी हवा बेहद खराब स्थिति में है। राज्य में केवल नारनौल ही ऐसा शहर है जहां हवा “मध्यम” श्रेणी में (AQI 142) दर्ज की गई। वहीं, बहादुरगढ़ (202), हिसार (290), जींद (289), कैथल (290), पलवल (241), सोनीपत (283) और यमुनानगर (251) में भी हवा “गंभीर” स्थिति में बनी हुई है।
उत्तर भारत में मौसम का बड़ा बदलाव, पश्चिमी विक्षोभ से तापमान में गिरावट
मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर भारत आज यानी 4 नवंबर से मौसम के बड़े उलटफेर की दहलीज पर है। पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो गया है, जिसके चलते पंजाब, हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हल्की बारिश और तेज हवाएं चलने की संभावना है। इससे तापमान में गिरावट आएगी और सर्दी की शुरुआत महसूस होगी। पश्चिमी हिमालयी राज्यों में बर्फबारी शुरू होने से ठंड और बढ़ सकती है। IMD ने बताया कि अगले 72 घंटों में न्यूनतम तापमान में 3 से 5 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट हो सकती है। वहीं, मौसम विभाग ने लोगों को सलाह दी है कि घर से निकलने से पहले मौसम की स्थिति की जांच जरूर करें।
वर्षा से अस्थायी सुधार, लेकिन स्मॉग लेयर बनी रहेगी चुनौती
हरियाणा में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के कारण हवा में नमी बढ़ेगी, जिससे स्मॉग लेयर और घनी हो सकती है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि हल्की बारिश से हवा की गुणवत्ता में अस्थायी सुधार तो होगा, लेकिन नमी के कारण दृश्यता और प्रदूषण दोनों चुनौतीपूर्ण बने रहेंगे। इससे कृषि कार्यों पर भी असर पड़ सकता है — खासतौर पर खरीफ की अंतिम कटाई और गेहूं की बुवाई पर। प्रदूषण विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक स्थायी वर्षा या ठंडी हवाएं नहीं चलतीं, तब तक हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर की हवा में सुधार की उम्मीद कम है।

















