Gurugram: कभी कुछ चुनिंदा कॉलोनियों और खेती-बाड़ी तक सीमित रहा गुड़गांव, आज गुरुग्राम के नाम से न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुका है। 1966 में हरियाणा राज्य के गठन के साथ ही यह छोटा-सा कस्बा अब एक विश्वप्रसिद्ध साइबर सिटी के रूप में उभरा है। बीते 60 वर्षों में गुरुग्राम ने एक ग्रामीण पहचान से निकलकर एक ऐसे महानगर का रूप ले लिया है जो आज भारत की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहा है। 1966 में जब हरियाणा बना, तब यह इलाका शांत, कृषि प्रधान और सीमित बस्तियों वाला था। उस समय इसकी पहचान सिविल लाइंस, जैकबपुरा, रेलवे रोड, अर्जुन नगर और भीम नगर जैसी कुछ पुरानी कॉलोनियों तक ही सीमित थी।
मारुति उद्योग की स्थापना से शुरू हुई औद्योगिक क्रांति
1970 के दशक के आखिर में जब मारुति उद्योग लिमिटेड की स्थापना हुई, तो इसने गुरुग्राम के भाग्य को पूरी तरह बदल दिया। इस फैक्ट्री ने न केवल रोजगार के अवसर बढ़ाए, बल्कि व्यापार और निवेश के नए रास्ते भी खोले। इसके बाद गुरुग्राम धीरे-धीरे एक औद्योगिक केंद्र बनता चला गया। 1990 के दशक में आईटी और बीपीओ सेक्टर के विस्तार के साथ शहर ने खुद को नई दिशा दी। निजी बिल्डरों ने बड़े पैमाने पर आवासीय और कॉर्पोरेट प्रोजेक्ट शुरू किए, जिससे डीएलएफ सिटी, साउथ सिटी, सोहना रोड और गोल्फ कोर्स रोड जैसे क्षेत्रों ने गुरुग्राम को एक आधुनिक पहचान दी। इस विकास ने न केवल हरियाणा की अर्थव्यवस्था को बल दिया, बल्कि इसे दिल्ली-एनसीआर का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ शहर बना दिया।
गुरुग्राम — परंपरा और आधुनिकता का संगम
2016 में जब गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम रखा गया, तो यह सिर्फ नाम परिवर्तन नहीं बल्कि इतिहास और आधुनिकता के मेल का प्रतीक बन गया। यह भूमि महाभारत काल के गुरु द्रोणाचार्य की तपोभूमि मानी जाती है, और इसी से इसका नाम “गुरुग्राम” पड़ा। आज यह शहर 250 से अधिक फॉर्च्यून 500 कंपनियों का घर है। साइबर सिटी, एमजी रोड, गोल्फ कोर्स रोड, सेक्टर 29 जैसे क्षेत्र विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस हैं। लगभग 40 लाख की आबादी वाला यह शहर अब हरियाणा की आर्थिक राजधानी बन चुका है। मेट्रो, रैपिड रेल, एक्सप्रेसवे और ग्लोबल स्कूलों ने इसे भविष्य के स्मार्ट सिटी की श्रेणी में ला खड़ा किया है।
तेज़ विकास के साथ नई चुनौतियाँ भी सामने
हालांकि विकास की इस तेज़ रफ्तार के साथ ट्रैफिक जाम, प्रदूषण, जलभराव और असमान विकास जैसी चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। फिर भी, 1966 के एक छोटे से कस्बे से लेकर 2025 के एक अंतरराष्ट्रीय शहर तक का यह सफर हरियाणा की विकास गाथा का प्रतीक बन गया है। आईएमटी मानेसर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के संरक्षक पवन यादव के अनुसार, “यह क्षेत्र जो कभी अविभाजित पंजाब में उपेक्षित था, अब हरियाणा की पहचान बन गया है। चाहे आईटी सेक्टर हो या ऑटोमोबाइल, गुरुग्राम हर क्षेत्र में राज्य की आर्थिक राजधानी के रूप में उभर रहा है।” गुरुग्राम इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुमित राव का कहना है, “गुरुग्राम ने हरियाणा को नई पहचान दी है। आईटी, ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट सेक्टर में तेज़ी से हो रहा विकास इसे वैश्विक मानचित्र पर स्थापित कर चुका है।” वहीं एसएस ग्रुप के सीईओ अशोक कुमार jaunapuriya कहते हैं, “गुरुग्राम की आधुनिक बुनियादी संरचना और नवाचार की ऊर्जा ने हरियाणा को नई दिशा दी है। यह सिर्फ विकास का केंद्र नहीं, बल्कि राज्य की वैश्विक पहचान का प्रतीक बन चुका है।”

















