नई दिल्ली: भारत में आंखों की सेहत पर किया गया निवेश देश की अर्थव्यवस्था को हर साल लगभग 3.6 लाख करोड़ रुपये का लाभ दिला सकता है। यह खुलासा ग्लोबल वैल्यू ऑफ विज़न रिपोर्ट में हुआ है, जिसे आईएपीबी, सेवा फाउंडेशन और फ्रेड हॉलोज़ फाउंडेशन ने संयुक्त रूप से तैयार किया है।World Sight Day
रिपोर्ट के मुताबिक यदि स्कूलों में बच्चों की आंखों की नियमित जांच की जाए और ज़रूरतमंदों को वहीं तुरंत चश्मे दिए जाएं, तो इससे शिक्षा, रोजगार, उत्पादकता और स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक सुधार होगा। अध्ययन में बताया गया है कि हर 1 रुपये के निवेश पर 16 रुपये का रिटर्न मिलेगा।
भारत में लगभग 70 करोड़ लोग बचाई जा सकने वाली दृष्टि हानि से जूझ रहे हैं। इन समस्याओं को मोतियाबिंद सर्जरी या साधारण चश्मे जैसे सस्ते उपायों से ठीक किया जा सकता है।World Sight Day
रिपोर्ट के अनुसार यदि भारत 22,100 करोड़ रुपये का निवेश करे तो देश को हर साल मिलेगा:
- 2.27 लाख करोड़ रुपये उत्पादकता में लाभ
- 78,700 करोड़ रुपये रोजगार में वृद्धि
- 40,800 करोड़ रुपये देखभाल में राहत
- 9,60,000 अतिरिक्त स्कूलिंग वर्षों का शैक्षिक फायदा
‘लव योर आइज़’ अभियान ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे अपनी आंखों की नियमित जांच कराएं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
विशेषज्ञों का कहना है कि दृष्टि हानि न केवल व्यक्तिगत जीवन बल्कि आर्थिक विकास को भी प्रभावित करती है। मिशन फॉर विज़न की एलिज़ाबेथ कुरियन ने कहा — “एक जोड़ी चश्मा या मोतियाबिंद सर्जरी किसी व्यक्ति की आजीविका और जीवन बदल सकती है। दृष्टि में निवेश केवल दान नहीं, बल्कि स्मार्ट अर्थशास्त्र है।”
आईएपीबी के सीईओ पीटर हॉलैंड ने कहा — “दृष्टि हानि रोकी जा सकती है, और हमारे पास समाधान मौजूद हैं। सरकारों, व्यवसायों और स्कूलों को मिलकर आंखों की देखभाल को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह हमारे भविष्य में निवेश है।”

















