Hydrogen Train: भारत अब हाइड्रोजन ईंधन के युग में प्रवेश करने जा रहा है। देश का पहला हाइड्रोजन उत्पादन संयंत्र लगभग तैयार हो चुका है और अगले 10 से 15 दिनों में इसके सभी कार्य पूरे होने की उम्मीद है।Hydrogen Train
फिलहाल पेट्रोलियम मंत्रालय और अन्य संबंधित विभागों से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) मिलने का इंतजार किया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, प्लांट में गैस उत्पादन शुरू कर दिया गया है और टेस्टिंग का दौर जारी है। लगभग 70 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस प्लांट में प्रतिदिन करीब 430 किलोग्राम हाइड्रोजन का उत्पादन होगा।
यह परियोजना भारतीय रेलवे के लिए एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत एक डीजल-इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) रैक को हाइड्रोजन ईंधन से अपग्रेड किया गया है। सबसे पहले जींद-गोहाना-सोनीपत रेलखंड पर यह हाइड्रोजन ट्रेन चलाई जाएगी, जो एक बार में 2638 यात्रियों को सेवा दे सकेगी।
इस मार्ग की ईंधन आपूर्ति जींद स्थित प्लांट से ही होगी, जहां तीन हजार किलो हाइड्रोजन भंडारण क्षमता के साथ अत्याधुनिक कंप्रेसर और दो हाई-स्पीड डिस्पेंसर लगाए गए हैं। यह रेल ट्रैक करीब 89 किलोमीटर लंबा है।
हाइड्रोजन ट्रेन की अधिकतम गति 110 से 140 किलोमीटर प्रति घंटा रहेगी और यह पूरी तरह हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर आधारित होगी। पारंपरिक डीजल ट्रेनों की तुलना में यह ट्रेन पर्यावरण के अनुकूल होगी, क्योंकि इसके इंजन से धुआं नहीं बल्कि केवल जलवाष्प और पानी का उत्सर्जन होगा।
89 किलोमीटर के इस रूट पर ट्रेन का ट्रायल शुरू हुआ। यह ट्रेन 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने में सक्षम है। 1200 हॉर्सपावर की क्षमता वाली यह ट्रेन एक बार में 2638 यात्रियों को ले जा सकेगी। हाइड्रोजन ट्रेन दूसरी ट्रेनों से बिल्कुल अलग है।
रेलवे के चीफ पीआरओ हिमांशु शेखर के अनुसार, फिलहाल उद्घाटन की तारीख तय नहीं की गई है, लेकिन कार्य लगभग पूरा हो चुका है और सभी तकनीकी जांचें अंतिम चरण में हैं। संभावना है कि इसी महीने देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन यात्रियों के लिए शुरू कर दी जाएगी।

















