Breaking News : भारत की समुद्री सुरक्षा को एक नई दिशा मिल रही है, यह दिशा समुद्र तट से दूर हरियाणा के गुरुग्राम से तय हो रही है। यह एक अनूठा कदम है क्योंकि यह अड्डा किसी भी समुद्री बंदरगाह से 1,148 किलोमीटर की दूरी पर है। यह दर्शाता है कि आधुनिक युद्ध और सुरक्षा अब सिर्फ़ भौतिक उपस्थिति पर नहीं, बल्कि अत्याधुनिक सूचना तकनीक (आईटी) और डेटा विश्लेषण पर आधारित है।Breaking News
भारतीय नौसेना ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, गुरुग्राम में ‘आईएनएस अरावली’ नामक एक नया नौसैनिक अड्डा स्थापित किया है।Breaking News
आईएनएस अरावली’ का नाम अरावली पर्वत श्रृंखला पर रखा गया है, जो अपने ऐतिहासिक महत्व और मजबूती के लिए जानी जाती है। इसका आदर्श वाक्य है ‘सामुद्रिक सुरक्षायाः सहयोगं’ जिसका अर्थ है ‘समुद्री सुरक्षा में सहयोग’।
यह आदर्श वाक्य ही इस अड्डे के मिशन को स्पष्ट करता है। यह एक पारंपरिक नौसैनिक बेस की तरह जहाजों को डॉक नहीं करेगा, बल्कि यह एक अत्याधुनिक तालमेल केंद्र (Coordination Centre) के रूप में काम करेगा।
मुख्य उद्देश्य मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (MDA) को बढ़ाना है। यह अड्डा नौसेना के विभिन्न सूचना और संचार केंद्रों से डेटा इकट्ठा करेगा, उसका विश्लेषण करेगा और इसे अन्य सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के साथ साझा करेगा। इस तरह, यह भारतीय समुद्री क्षेत्र में होने वाली हर गतिविधि पर नज़र रखेगा, जिससे किसी भी संभावित खतरे का जल्द पता लगाया जा सके।
समुद्री सुरक्षा से संबंधित डेटा का आदान-प्रदान और विश्लेषण तेज़ होगा, बल्कि यह भारत के नेशनल मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस प्रोजेक्ट (NMDA) को भी गति देगा। इसका मतलब है कि समुद्री क्षेत्र में होने वाली हर छोटी-बड़ी गतिविधि पर रियल-टाइम नज़र रखी जा सकेगी, जिससे तटीय और समुद्री सुरक्षा को अभूतपूर्व मजबूती मिलेगी।Breaking News
आईएनएस अरावली’ के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक इसका बहु-एजेंसी (multi-agency) सहयोग है। अब तक गुरुग्राम में इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट एंड एनालिसिस सेंटर (IMAC) काम कर रहा था, लेकिन ‘आईएनएस अरावली’ के रूप में इसे एक नई पहचान मिली है। यह केंद्र अब भारतीय नौसेना के नेतृत्व में काम करेगा, जिसमें विभिन्न राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां एक साथ मिलकर काम करेंगी।Breaking News















