Jhalawar school roof collaps: राजस्थान झालावार्ड में स्कूल में शुक्रवर सुबह सुबह बडा हादसा हो गया। राजस्थान के झालावाड़ (Jhalawar School News) सरकारी स्कूल (Jhalawar school roof collaps) की छत गिर गई। इस हादसे में सात बच्चों की मौत हो गईहै। वहीं, कई बच्चे घायल हुए हैं। हादसे में स्कूल में हाहाकार मच गया। हादसे के बाद राहत और बचाव कार्य जारी है।
बता दे कि ये घटना झालावाड़ जिले के मनोहर थाना क्षेत्र के पीपलोदी की है। जहां पर शुक्रवार सुबह राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय (jhalawar school accident) की छत अचानक गिर गई, जिसके कारण कक्षा में मौजूद कई छात्र मलबे में दब गए। हादसे के बाद राहत और बचाव कार्य जारी है। Jhalawar school roof collaps

हादसे में सात की मौत
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, इस हादसे को लेकर झालावाड़ के एसपी अमित कुमार ने बताया कि पिपलौदी प्राइमरी स्कूल की छत गिरने से सात छात्रों की मौत हो गई है। इस हादसे में 10 से अधिक बच्चों के घायल होने की भी खबर है।
पुलिस के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब बच्चे कक्षा में थे। पुलिस ने बताया कि घटना के तुरंत बाद शिक्षकों और ग्रामीणों की मदद से बच्चों को मलबे से बाहर निकाला गया।
डीटी के मुताबिक स्कूल शिक्षा विभाग को पहले ही निर्देश दिए गए थे कि जो भी जर्जर भवन हो वहां स्कूलों की छुट्टी कर दी जाए, लेकिन खुद कलेक्टर कह रहे हैं कि ना तो यह स्कूल जर्जर भवन की सूची में था और ना ही यहां बच्चों की छुट्टी की गई।
स्कूल में पढ़ने वाली बच्ची वर्ष राज क्रांति ने बताया की छत गिरने से पहले कंकड़ गिर रहे थे, बच्चों ने बाहर खड़े टीचर्स को इसकी जानकारी दी, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया गया। कुछ देर बाद धडाम से छत गिर गई ओर मलबे मे बच्चे दब गए।
राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा ने इस हादसे का लेकर दुख जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि झालावाड़ के पीपलोदी में एक स्कूल की छत गिरने से हुई दुखद दुर्घटना अत्यंत दुखद और हृदय विदारक है।
पीएम मोदी ने हादसे पर जताया दुख
राजस्थान के झालवाड़ में हुए इस हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है। एक्स पर एक पोस्ट में, प्रधानमंत्री ने कहा कि राजस्थान के झालावाड़ के एक स्कूल में हुई दुर्घटना दुखद और बेहद दुखद है।
बिल्डिंग जर्जर थी
लेकिन पीपलोदी के सरकारी स्कूल में इन आदेशों की खुलेआम अनदेखी की गई. स्थानीय लोगों के मुताबिक, स्कूल की बिल्डिंग पहले से ही बेहद खराब हालत में थी, लेकिन कोई निरीक्षण नहीं हुआ. हादसे के वक़्त कक्षा 7वीं के 35 बच्चे उस कमरे में पढ़ रहे थे, जब छत ढह गई.
हादसे के बाद उठ रहे है ये सवाल
जब सरकार ने पहले ही आगाह किया था, तो आदेशों पर अमल क्यों नहीं हुआ?
क्या जिला शिक्षा अधिकारी और प्रशासन की जिम्मेदारी तय होगी?
क्या यह एक प्रशासनिक लापरवाही का मामला नहीं है?

















