400 years old Devi Mandir of Rewari: रेवाड़ी शहर के हृदय में स्थित बड़ा तालाब पर देवी मां का ऐतिहासिक मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रतीक भी है। करीब चार सौ साल पुराने इस मंदिर की स्थापना राजा तेज सिंह के काल में हुई मानी जाती है।
राजा द्वारा बनवाए गए तालाब के समीप पंडित राम गोपाल और तुलाराम ने इस मंदिर की नींव रखी थी। तब से लेकर आज तक यह मंदिर राजघराने की कुल देवी के रूप में श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है।400 years old Devi Mandir of Rewari
मंदिर के चारों ओर शिव घाट, गौ घाट, विष्णु घाट और जनाना घाट जैसे धार्मिक स्थल भी बने थे, जिनके प्रमाण आज भी मंदिर और तालाब के आस-पास देखे जा सकते हैं। मंदिर तक पहुंचना भी बेहद आसान है। यह बस अड्डे से केवल आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और रेलवे स्टेशन से सर्कुलर रोड होते हुए बड़ा तालाब तक चौबीस घंटे बस और ऑटो की सुविधा उपलब्ध रहती है।400 years old Devi Mandir of Rewari
इस मंदिर की विशेषता इसकी ऐतिहासिक बनावट में है। इसकी दीवारें, छत और दरवाजे आज भी वैसी ही हैं जैसी सैकड़ों साल पहले बनाई गई थीं। मंदिर की संरचना में कोई आधुनिक बदलाव नहीं किया गया है—सिर्फ समय-समय पर सफेदी की जाती है।
नवरात्र के दौरान यह मंदिर भव्य रूप से सजाया जाता है, चारों ओर रोशनी, भजन-कीर्तन और आरती से वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है। अष्टमी पर विशेष जागरण और हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी को शाम साढ़े छह बजे होने वाली आरती श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होती है।
मंदिर के पुजारी पं. संतोष कुमार के अनुसार, सच्चे मन से मांगी गई मन्नत यहां अवश्य पूरी होती है। मंदिर प्रबंधक धीरज शर्मा (मन्नू) का कहना है कि श्रद्धालुओं की गहरी आस्था ही है कि नवरात्रों में न केवल रेवाड़ी, बल्कि आसपास के जिलों और दूरदराज के क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं।

















