Rewari: कमीशन का खेल: ठेकेदार ने कहा: पहले भी दे चुका हूं 19 प्रतिशत तक का कमीशन रेवाडी नपा अधिकारियों को-

जेई, एमई, एक्सईएन, ईओ, लेते हैं 3-3 प्रतिशत ऑडिट, अकाउंट, मेंटेनेंस का डेढ़- डेढ़ प्रतिशत कमीशन तय—–
कमीशन देने में की आनाकानी रोक दिए जाते हैं बकाया बिल
रेवाडी: सुनील चौहान। सत्ता में चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी। लेकिन पंचायत के साथ नगर पालिका व नगर परिषद में कमीशन का खेल बदं नहीं हो रहा है। धारूहेडा मे एक ठेकेदार का कमीशन के चलते बिल रोका गया, बाद मे ब्लैक लिस्ट कर दिया गया। वहीं रेवाडी में ऐसा ही मामला सामने आया हैं। सोमवार को नपा परिसर में  ठेकेदार द्वारा जो हंगामा किया गया वह नगर परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार के प्रति आक्रोश ज्यादा नजर आया। ठेकेदार शीशराम द्वारा जो आरोप लगाए गए हैं उनकी जांच भी होनी जरूरी है। शीशराम ठेकेदार ही पहला ठेकेदार नहीं है जो अपने बकाया बिलों के लिए इधर से उधर दौड़ लगा रहा हो। नगर परिषद में ऐसे अनेक ठेकेदार मिल जाएंगे जो अपने बकाया बिलों के लिए नगर परिषद के चक्कर काट रहे हैं। कहा तो यह जा रहा है कि जिस किसी ने भी अधिकारियों के तय कमीशन के अनुसार दे दिया उसके उसके बकाया बिल तुरंत प्रभाव से हो जाते हैं और जिस किसी ने शीशराम ठेकेदार जैसी हिमाकत करी तो उनके बिल कैसे पास होंगे वह वही जानता है। ठेकेदार शीशराम ने बताया कि 4 सितंबर 2020 को उन्होंने टेंडर पर काम शुरू कर दिया था। पार्कों में साफ-सफाई और सुंदर बनाने का कार्य किया। इस समय 6 माह से ज्यादा का समय हो चुका है, जिसमें 6 लाख का काम एडवांस कर चुका है। आरोप लगाए कि बार-बार लिखित में शिकायत देने तथा पेमेंट मांगने पर भी भुगतान नहीं किया जा रहा। उन्होंने कहा कि टेक्निकल विंग ने भी उनका बिल पास कर दिया लेकिन चेयर पर्सन व ईओ के बीच चक्कर लगा रहा है। अब पेमेंट के लिए नगर परिषद ने 5 सदस्य कमेटी गठित कर दी। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब एक बिल टेक्निकल विंग ने पास कर चेयर पर्सन के पास भेज दिया तो अब आखिर क्या जरूरत पड़ी थी  कमेटी गठित करने की।
ठेकेदार का आरोप :   कमेटी गठित कर उन पर दबाव डाला जा रहा है कि वह नगर परिषद के अधिकारियों को कमीशन दे। दूसरा  बड़ा सवाल यह है कि आखिर अब क्या जरूरत पड़ गई थी कमेटी गठित करने की जब ठेकेदार पिछले 6 माह से पार्कों में काम कर रहा था तब क्या नगर परिषद के अधिकारियों ने वहां जाने और देखने की जहमत नहीं उठाई क्या। अगर काम ठीक ढंग से नहीं हो रहा था तो क्यों न ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की गई। आखिर कहां थे 6 माह तक नगर परिषद के अधिकारी। कुल मिलाकर लगता है कि ठेकेदार पर लगातार नगर परिषद दबाव बना  रही है। ठेकेदार ने नगर परिषद अधिकारियों पर कमीशन लेने के आरोप लगाए हैं उनकी जरूर उच्च स्तरीय  जांच होनी चाहिए। ठेकेदार ने आरोप लगाया कि अभी तक नगर परिषद में 19% तक कमीशन देना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह प्रतिशत और बढ़ेगी क्योंकि अभी नए हाउस ने कामकाज संभाला है। ठेकेदार ने यह भी आरोप लगाया कि उसने वर्ष 2018 में  भी नगर परिषद का कार्य किया था तब भी नगर परिषद के अधिकारियों ने उनसे कमीशन लिया था। उन्होंने ईओ मनोज कुमार पर भी कई गंभीर आरोप लगाए। अब सरकार को चाहिए कि तुरंत इन आरोपों की जांच कराई जाए।
पहले भी हुए है कई बार ऐसे विवाद:
हम आपको बता दें कि नगर परिषद भ्रष्टाचार को लेकर हमेशा सुर्खियों में रही है। अनेकों मामले भ्रष्टाचार के उजागर हुए हर बार जांच की बात कह कर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत सिंह ने भी पार्षदों को शपथ दिलाते समय इशारों इशारों में नगर परिषद को भ्रष्टाचार मुक्त करने की बात कही थी। लेकिन शायद उनकी बातों पर भी अमल नहीं हो पाया। ठेकेदार द्वारा लगाए गए आरोपों पर नगर परिषद के अधिकारियों ने बेबुनियाद बताया।