Maharana Pratap Jayanti 2025: पूरे देश में आज शौर्य, वीरता, दृढ़ संकल्प और महान योद्धा महाराणा प्रताप महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जा रही हैंं इस बार हरियाण में राजपूत समाज ने बडे स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा हैं
आज का दिन भारत के इतिहास में स्वाभिमान, साहस और स्वतंत्रता की प्रतीक गाथा के रूप में याद किया जाता है। महाराणा प्रताप, जिन्होंने मुगल सम्राट अकबर के आगे कभी सिर नहीं झुकाया, अपने राज्य और धर्म की रक्षा के लिए जंगलों, पर्वतों और गुफाओं में जीवन बिताया। हल्दीघाटी का युद्ध उनका अपराजेय आत्मबल और नेतृत्व क्षमता का परिचायक है। उनकी जयंती हमें याद दिलाती है कि मातृभूमि की रक्षा के लिए अडिग संकल्प और आत्मबल ही सच्चा शौर्य है।
सिसोदिया राजवंश के थे महारणा: बता दे कि महाराणा प्रताप का जीवन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है और उनकी वीरता तथा साहस को हमेशा याद किया जाएगा। इनका जन्म ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया रविवार, विक्रम सम्वत् 1597 तदनुसार 9 मई, 1540 को राजस्थान के कुम्भलगढ़ में हुआ था। वह महाराणा उदय सिंह द्वितीय के सबसे बड़े पुत्र थे और सिसोदिया राजवंश से थे।Maharana Pratap Jayanti 2025

शौर्य, वीरता, दृढ़ संकल्प और महान योद्धा का नाम था महाराणा प्रताप, जिन्होंने अनेक कष्ट सहते हुए मुगल शासक अकबर के विरुद्ध युद्ध जारी रखे लेकिन उसकी अधीनता स्वीकार नहीं की। उन्होंने अपनी मातृभूमि, मेवाड़ की रक्षा के लिए एक शक्तिशाली मुगल सेना से जूझने की क्षमता दिखाई थी। Maharana Pratap Jayanti 2025
महाराणा प्रताप की माता का नाम जयवंता बाई था, जो पाली के सोनगरा अखैराज की बेटी थीं। इनका बचपन भील समुदाय के साथ बीता। भीलों के साथ ही वह युद्धकला सीखते थे, भील अपने पुत्र को कीका कहकर पुकारते हैं, इसलिए भील महाराणा को कीका नाम से पुकारते थे।
इन्हें इतिहास में मातृभूमि की रक्षा के जूझने वाले शासक की बहादुरी, देशभक्ति और प्रतिरोध के लिए जाना जाता है। इन्होंने मुगल सम्राट अकबर के खिलाफ 18 जून, 1576 को हल्दीघाटी के युद्ध में अपनी छोटी-सी सेना के साथ साहस और दृढ़ संकल्प से विशाल सेना से मुकाबला किया।

हल्दीघाटी के युद्ध के बाद, महाराणा प्रताप ने गुरिल्ला युद्ध तकनीक का इस्तेमाल किया, जिससे उन्होंने लगातार मुगल सेना को परेशान किया। इस गुरिल्ला युद्ध की तकनीक को छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी इस्तेमाल किया।
इन्होंने अपने राज्य की खुशहाली और उन्नति के लिए अकबर की विस्तारवादी नीतियों का विरोध किया और मेवाड़ की स्वतंत्रता के लिए जोरदार संघर्ष किया। 1572 से 1597 तक शासन के दौरान महाराणा प्रताप ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सब कुछ त्याग दिया और अपनी जान की भी परवाह नहीं की। Maharana Pratap Jayanti 2025

















