रेवाडी: सुनील चौहान। कोरोना ने शहरों के साथ साथ अब ग्रामीण क्षेत्र को भी अपने चपेट ले लिया है। दूसरी लहर के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कोरोना के केस आए हैं। इसी के चलते कोरोना सक्रमण को फॅलने के लिए जिला प्रशान की ओर से कंटेनमेंट की तर्ज पर 3 गांव कोरोना हॉटस्पॉट बनाया गया है। इन गांवों पर जिला प्रशासन की नजर है तथा यहां पर अधिक सैंपल लेकर अन्य लोगों की भी जांच की जा रही है, ताकि संक्रमण की चेन तोड़ी जा सके। इसके अलावा भी अन्य गांवों में केस बढ़ रहे हैं।
अप्रैल माह के अंतिम 3 दिन तथा मई के शुरूआती 5 दिनों की रिपोर्ट से समझ सकते हैं कि संक्रमण की रफ्तार गांवों की ओर ज्यादा है। उक्त 8 दिनों के दौरान जिले में मिले कुल 1835 संक्रमितों में से 934 यानी करीब 51% ग्रामीण क्षेत्र के ही रहे, जबकि 901 यानी करीब 49% केस शहरी क्षेत्र में मिले।
ये आंकड़े चिंता में डालने वाले हैं। क्योंकि अभी तक डॉक्टर भी मान रहे थे कि शहर की भीड़भाड़ में संक्रमण ज्यादा फैल रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में केस बढ़ने का कारण सीधे तौर पर लापरवाही भी माना जा रहा है। लोग संक्रमण को गंभीरता से न लेकर बेपरवाह घूम रहे हैं।
कोरोना में जिले की मौजूदा स्थिति
1. सिविल सर्जन डॉ. कृष्ण कुमार ने कहा है कि जिला में विभिन्न अस्पतालों में 465 कोविड मरीज दाखिल हैं, जिनमें से 384 मरीज ऑक्सीजन तथा 24 मरीज वेंटिलेटर पर चल रहे हैं।
2. होम आइशोलेशन में इस समय 1514 मरीज हैं, इनके लिए 33 टीमें कार्य कर रही हैं। उन्होंने बताया कि जिले में रिकवरी रेट 86.6 प्रतिशत, फैटल्टी रेट 0.9 प्रतिशत तथा पॉजिटिविटी रेट 6.6 प्रतिशत है।
3. सिविल सर्जन मानते हैं कि चिंता का विषय अब ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना की दस्तक है। कोसली, गुडियानी, बोलनी गांव जिले के हॉटस्पॉट सूची में शामिल हैं।
4. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए रेवाड़ी जिला में एक लाख 65 हजार 709 लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है, जिसमें एक लाख 32 हजार 456 को कोविशील्ड तथा 11 हजार 253 को कोवैक्सीन दी गई है।
ये लापरवाही भी पड़ी भारी
हुक्कों की चौपाल ग्रामीण एरिया में विशेषकर दिन के समय लोग एक साथ बैठककर ताश की बाजी लगाने तथा हुक्का आदि पीने का चलन बढ़ा है। कोरोना काल में भी लोग यह लापरवाही करते नजर आ रहे हैं। इससे लोग एक-दूसरे में वायरस फैला रहे हैं। एक ही हुक्के का इस्तेमाल होने से संक्रमण की संभावना पूरी है।
मास्क का प्रयोग नहीं गांवों में लोग सामान्य तौर पर मास्क का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। दिखावे के तौर पर तौलिया या चुन्नी लपेट ली जाती है, ताकि कोई रोके टोके ना। मास्क का प्रयोग सिर्फ शहर जाते समय किया जाता है। बाहर से आने वाले लोगों के सामने भी लोग मास्क का इस्तेमाल नहीं कर रहे।
जानलेवा सोच लोग भ्रमित, टेस्ट कराने से बच रहे लोग
बुखार-खांसी छिपा रहे : ग्रामीण क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती ये है कि लोग कोरोना जांच कराने से ही बच रहे हैं। बुखार-खांसी जैसे लक्षण होने पर भी इधर-उधर से दवा लेकर समय बिता रहे हैं। यदि ज्यादा समय तक इलाज न लें तो संक्रमण फेफड़ों को पूरी तरह खराब कर देता है।
क्वारेंटाइन करने की चिंता : लोगों में ये भी डर है कि कोरोना मिलने पर उन्हें अस्पताल में ले जाकर क्वारेंटाइन कर दिया जाएगा, अस्पताल में सिर्फ उन लोगों को भर्ती किया जाएगा जिनकी तबीयत बिगड़ रही है। ताकि समय रहते जिंदगी बचाई जा सकेगी।
परिवार की जांच न हो जाए : ग्रामीण लोगों की सोच ये है कि पूरे परिवार का टेस्ट होगा, जिससे परेशानी होगी। हकीकत में जो कोई पॉजिटिव आएगा, एहतियात के तौर पर उसके परिवार की भी जांच की जाएगी, ताकि यह संक्रमण जानलेवा न हो।
संक्रमण का कहर- 12 और जिंदगियां छीनी:
कोरोना वायरस खूब कहर ढा रहा है। इस घातक वायरस ने 12 लोगों की जिंदगियां छीन ली। स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड के अनुसार मृतकों की संख्या 155 हो गई है। हालांकि हकीकत में ये आंकड़ा काफी ज्यादा हो चुका है, मगर विभाग की गिनती पीछे चल रही है।
रविवार को 132 संक्रमित भी मिले हैं। अभी तक कुल 15571 रिपोर्ट पॉजिटिव आई हैं, जिनमें से 13503 ठीक भी हो चुके। जिले में इस समय 1913 सक्रिय केस हैं, जिनमें से 1514 होम आइसोलेट किए गए हैं तथा 399 लोग अस्पतालों में भर्ती हैं।
गांवों में टेस्टिंग बढ़ाए विभाग : राव इंद्रजीत
केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में वायरस का संक्रमण शहर के साथ-साथ अब ग्रामीण अंचल में भी पांव पसार रहा है। इसे रोकना बेहद जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि ग्रामीण क्षेत्रों मे टेस्टिंग रेट को बढ़ाया जाए और अन्य आवश्यक प्रबंध भी किए जाएं।