Driving License: ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की चाहत रखने वालों के लिए बड़ी खबर! अब इन दस्तावेजों की पड़ेगी जरूरत क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (RTO) के अधीन बस स्टैंड के पास ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट सेंटर में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को लेकर सतर्कता विभाग द्वारा की गई छापेमारी के बाद सेंटर की व्यवस्था में बदलाव किया जा रहा है। अब सेंटर में एजेंटों का प्रवेश रोकने की कवायद के तहत केवल उन्हीं आवेदकों को सेंटर में प्रवेश दिया जाएगा जो अपना लाइसेंस बनवाने आए हैं।
इसके लिए RTO के निर्देश के बाद सेंटर के बाहर एक कर्मचारी की टेबल लगाई गई है और उक्त कर्मचारी रजिस्टर में प्रत्येक आवेदक का आवेदन नंबर, नाम और फोन नंबर दर्ज करेगा, जिसके बाद उसे सेंटर में प्रवेश दिया जाएगा। इसके बाद सेंटर के बाहर प्रतिदिन सक्रिय रहने वाले करीब एक दर्जन निजी एजेंटों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। गौरतलब है कि ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट सेंटर के आसपास प्रतिदिन एक दर्जन से अधिक निजी एजेंट सक्रिय रहते हैं। ये एजेंट आवेदकों को झांसे में लेते थे और ड्राइविंग टेस्ट पास करवाने से लेकर लाइसेंस स्वीकृत करवाने तक हर काम के लिए ‘सेटिंग’ का हवाला देते थे।
लेकिन अब आरटीओ ने इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। आरटीओ के आदेशों के तहत किसी भी एजेंट या अनावेदक को सेंटर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। सेंटर के बाहर स्थापित डेस्क पर रजिस्टर में हर व्यक्ति की एंट्री दर्ज की जाएगी और उसी के आधार पर उसे चेक करके सेंटर में भेजा जाएगा।
अब सेंटर के कर्मचारी ड्यूटी के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। एआरटीओ विशाल गोयल ने आज सेंटर में तैनात समूह स्टाफ कर्मियों के मोबाइल फोन जमा करवा लिए। एआरटीओ ने बताया कि अब स्टाफ ड्यूटी के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
क्योंकि लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि स्टाफ कर्मी व्हाट्सएप और अन्य सोशल साइट्स के जरिए सेंटर के बाहर तैनात एजेंटों के संपर्क में रहते हैं। उन्होंने कहा कि व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए ये कदम उठाए गए हैं। हमारा उद्देश्य है कि किसी भी आवेदक से अवैध धन की वसूली न हो और हर व्यक्ति को समान अवसर मिले।
उन्होंने कहा कि अक्सर शिकायतें मिलती हैं कि एजेंट ड्राइविंग टेस्ट पास कराने से लेकर हर काम आसानी से और जल्दी करवाने के लिए मोटी रकम वसूलते हैं और अंदर मौजूद स्टाफ से तुरंत काम करवा देते हैं। ऐसी शिकायतों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
















