दिल्ली: क्या ये सवाल आपके मन को दिन-रात डरा रहा है कि अगर एक बार कोरोना वायरस शरीर में आ गया तो फिर प्राणों पर संकट तय है। यदि ऐसा है तो फिर मान लीजिए कि आप इंसान नहीं हिरण बन गए हैं। वही हिरण जिसके पास दौड़ने की सर्वश्रेष्ठ योग्यता होती है लेकिन वह उस बाघ के हाथों मारा जाता है जो सम्पूर्ण शक्ति लगाकर भी हिरण जैसी गति हासिल नहीं कर सकता। आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है क्योंकि पीछा करते बाघ से तेज दौड़ रहे हिरण का दिमाग संदेश देता है कि पीछे मुड़कर देख कहीं बाघ नजदीक तो नहीं आ गया। गर्दन को पीछे घुमाते ही हिरण की गति बाधित होती है और बाघ उसे दबोच लेता है।
डर से घट जाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता:
चिकिस्तकों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में भारत वासियों की स्थिति हिरण जैसी हो गई है। उनके शरीर में भरपूर रोग प्रतिरोधक शक्ति है लेकिन वे इतने डर गए हैं कि कोरोना का संक्रमण होते ही उनकी प्रतिरोधक शक्ति हवा हो जाती है और वे आक्सीजन, अस्पताल के बिस्तर तथा आइसोलेशन के नकारात्मक जोन में फंसकर तड़फड़ाने लगते हैं।
घबराहट छीन लेती है शरीर की शक्ति:
नतीजा, खाँसी, गले में दर्द, बुखार, पेट दर्द, बदन दर्द, जैसे सामान्य लक्षण दिखते ही घबराहट शरीर की सामान्य शक्ति को छीन लेती है और उनका आक्सीजन लेबल धड़ाम से 90 ये 95 के आसपास आ टिकता है। उनका दिमाग शरीर को संकेत भेजता है कि कोरोना की कोई दवा नहीं है, अब तो सिर्फ भगवान ही बचा सकता है। पता नहीं मैं बचूंगा अथवा….।
अधिक बलशाली हो जाती है रोगप्रतिरोधक क्षमता:
मानव शरीर की रक्षक सेना (रोग प्रतिरोधक शक्ति) प्रतिदिन कोरोना से अधिक शक्तिशाली शत्रुओं (बायरस और बैक्टीरिया) लड़कर शरीर को सुरक्षित रखती है। ठीक ऐसे ही वह कोरोना वायरस को मात देने में सक्षम है लेकिन रोग प्रतिरोधक शक्ति को मस्तिष्क का सपोर्ट बेहद जरूरी है। अगर मस्तिष्क ये सोचेगा कि कोरोना वायरस मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता तो रोग प्रतिरोधक सेना अधिक बलशाली होकर वायरस को मार देगी।
सांस लयबद्ध होते ही आक्सीजन सप्लाई बढ़ा देते हैं फेफडे
अगर कोरोना संक्रमण के शिकार हो गए हैं तो मन को सकारात्मक रखें और लगातार ये कहते रहें कि वायरस मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। भय को पास नहीं फटकने दें। उस पर काबू पाने के लिए नियमित आसन और प्राणायाम करें। इससे आपके फेफडे अधिक आक्सीजन ग्रहण करना शुरू कर देंगे। प्राणायाम सांस को लयबद्ध करता है और लय बनते ही फेफडे पूरी ताकत से शरीर को आक्सीजन सप्लाई बढ़ा देते हैं। ऐसा होने से रोग प्रतिरोधक सेना को ताकत मिलने लगती है।
‘ध्यान’ लगाकर गुस्से और तनाव का शमन करें
योग और प्राकृतिक चिकित्सा के विशेषज्ञ डा. अंकेश सिंह का कहना है कि ध्यान मन मस्तिष्क को शान्त एवं संतुलित करने के साथ ही मानसिक तथा भावनात्मक दृढ़ता प्रदान करता है। गुस्से और तनाव का शमन करता है। इसके अलावा दिनचर्या व्यवस्थित करके आहार की पौष्टिकता बढ़ा दें। शरीर को स्वच्छ रखें। इतना करने भर से आक्सीजन की कमी नहीं आएगी। आक्सीजन की कमी नहीं आएगी।
इस अच्छाई के साथ आया है कोरोना वायरस:
वायरस से बचने के लिए घरों में बैठे लोग भी स्वयं को रचनात्मकता के साथ जोडें। नया सीखने की कोशिश करें। सोच को पॉजिटिव रखें। परिवार के साथ वक्त बिताएं। आराम करें। स्वयं को शारीरिक और मानसिक रूप से तनाव मुक्त रखें तो खुशी व संतुष्टि का अनुभव होगा। परेशान होकर खुद को नकारात्मकता की ओर न ले जाएं। ध्यान रखें कि बुरा समय भी अपने साथ कुछ न कुछ अच्छा लेकर आता है और इससे अच्छा क्या हो सकता है कि बच्चे, बीवी, माता—पिता, बहन-भाई एक साथ रह रहे है।
हंसी और आंसू में से हंसी को चुनें
उन्होंने बताया कि हमें डरना नहीं है और न ही नकारात्मकता को अपने मन में व्याप्त होने देना है। योग विशेषज्ञ का कहना है कि हंसी और आंसू दोनों अपने ही भीतर है। अगर सोच को सकारात्मक बना लें तो जीवन रसमय बन जाएगा और संकट को हारना ही होगा। वैसे भी हमारा पुरातन साहित्य इस पंक्ति को बार-बार दोहराता रहता है कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। इसलिए खुश रहें,स्वस्थ रहें और मस्त रहें।