Haryana News: प्रदेश में लिंग अनुपात को बढ़ाने के लिए जहां स्वास्थय विभाग प्रचार के लिये नए- नए तरीके अपना रहा है। सरकार ने इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया है। स्वास्थ्य विभाग की हेल्पलाइन 104 के माध्यम से 62 हजार गर्भवती महिलाओं से संपर्क किया जा रहा है जो पहले से बेटियों की मां हैं।
उन्हें समझाया जा रहा है कि भ्रूण लिंग जांच कानूनन अपराध है और बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं होना चाहिए। हरियाणा में साल 2024 में बच्चों का लिंगानुपात गिरकर 910 तक पहुंच गया है जो पिछले आठ सालों में सबसे कम आंकड़ा है। इसका मतलब है कि हर 1000 लड़कों पर सिर्फ 910 लड़कियां जन्म ले रही हैं। यह आंकड़ा ना सिर्फ चिंताजनक है बल्कि समाज की मानसिकता पर भी सवाल उठाता है।
सरकार ने इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया है। स्वास्थ्य विभाग की हेल्पलाइन 104 के माध्यम से 62 हजार गर्भवती महिलाओं से संपर्क किया जा रहा है जो पहले से बेटियों की मां हैं। उन्हें समझाया जा रहा है कि भ्रूण लिंग जांच कानूनन अपराध है और बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं होना चाहिए।
संदेश में छिपा है बदलाव:
विभाग की ओर से महिलाओं को फोन कॉल और संदेश भेजकर बताया जा रहा है कि लिंग जांच एक अपराध है। बेटा हो या बेटी दोनो एक ही समान हैं। सरकार ने इन महिलाओं से यह भी वादा किया है कि अगर उनके घर बेटी जन्म लेती है तो उन्हें एक हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह योजना बेटियों को सम्मान देने का प्रयास है।
सरकार की ये मुहिम धीरे-धीरे असर दिखा रही है। नूंह जैसे पिछड़े जिले में भी जहां 57,000 से अधिक बच्चों का जन्म हुआ वहां लिंगानुपात 928 दर्ज किया गया जो कई अन्य जिलों से बेहतर है। यह बदलाव दर्शाता है कि लगातार चल रही कोशिशें धीरे-धीरे रंग ला रही हैं।
महिलाओं की बढेगी भागीदारी: बता दे हरियाणा में इस मुहिम को तेज करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव और डॉक्टर वीरेन्द्र यादव जैसे अधिकारी इस अभियान की कमान संभाल रहे हैं। आशा वर्कर भी इस मुहिम में पूरी सक्रियता से जुड़ी हुई हैं। महिलाओं को स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी देने से लेकर उनके गर्भवती होने पर ध्यान देने तक हर पहलू पर काम हो रहा है। इससे समाज में बेटियों के प्रति सोच बदलने की उम्मीद है।

















