Haryana: महंत अजीतानंद महाराज से नागा साधु संन्यासी बन गए है। अजीतानंद गिरि का गांव पहुंचने पर जाट भूरथल और भूरथल ठेठर सहित आसपास के लोगो ने स्वागत किया गया।इस मौके पर अजीतानंद से लोगो ने आशीर्वाद लिया।
बता दे कि महंत अजीतानंद प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में मौनी अमावस्या पर गए थे। वहां पर नागा संस्कार की दीक्षा लेकर अब वे गांव आए है।
अजीतानंद ने कहा कि प्रयागराज में 144 साल बाद महाकुंभ आया है। प्रयागराज संगम के सेक्टर-19 में स्थित आह्वान अखाड़े में उनके गुरु गोविंद गिरि और दादा गुरु झोपड़ी वाले ने उनकी नागा संस्कारी दीक्षा कराई। इस कठोर तप के बाद अब वे नागा संन्यासी बन गए हैं।
Haryana जानिए क्या नागा साधु के नियम:
- नागा साधु बनने पर ब्रह्मचार्य का पालन और मोह-माया का त्याग
- क्रिमिनल रिकॉर्ड है ता उसे 4-5 साल तक तपस्या करनी पडेगी
- अखाड़े की तरफ से जांच होती है वह शख्स दायित्वों से भागकर तो नहीं आया है
- तपस्या और साधना के बाद महापुरुष बनाने की प्रक्रिया
- इसमें ब्रह्मा, शिव, शक्ति, सूर्य और गणेश गुरू बनाने पडतेहै
- रुद्राक्ष, गुरु से मिले कपडे, भस्मी, चोटी रखनी होती है

















