विधानसभा में उठा मुद्दा, फिर भी नहीं बदले रेवाडी के हालात
20 लाख 80 हजार हो चुके हैं अभी तक पशुओ को पकडने पर खर्च
रिकॉर्ड में 13 सौ बेसहारा पशुओं को जा चुका है एनजीओ की ओर से रेवाडी शहर में
रेवाड़ी 17 अप्रैल (सुनील चौहान) रेवाड़ी में बेसहारा पशुओ ने
तीन की ले ली जान, विधानसभा में उठाई मांग,20 लाख 80 हजार रुपये खर्च कर भी नही हुआ शहर कैटल फ्री।।। जी बिल्कुल आपने सही सुना इतना होने के बावजूद भी शहर के हालात जस के तस हैं। यह भी सोलह आना सच है कि रेवाड़ी शहर रिकॉर्ड में पूरी तरह से कैटल फ्री शहर है। अब आप कैटल फ्री शहर की तस्वीरें आप खुद ही देख सकते हैं। शहर के गली मोहल्ले तो छोड़िए शहर की लाइफ लाइन माने जाने वाले सर्कुलर रोड पर भी एक नहीं बल्कि सैकड़ों की संख्या में बेसहारा पशुओं को देखा जा सकता है। रोड पर जमा इन बेसहारा पशुओं से न केवल यातायात बाधित होता है बल्कि लोगों की जान पर भी खतरा मंडराया रहता है। एक के बाद एक चार युवकों की सांड द्वारा जान ले लेने के बाद प्रशासन की कुछ समय के लिए कुंभकरणी की नींद टूटी उसमें भी गोलमाल की बू आ रही है। शहर की जनता के आक्रोश को देखते हुए नगर परिषद ने जयपुर की एक पशु पकड़ने की एजेंसी को ठेका दे दिया। रिकॉर्ड की माने तो एक बेसहारा पशु पकड़ने पर 16 सो रुपए का भुगतान किया गया।। इस तरह 13 सौ बेसहारा पशुओं को पकड़ने के लिए नगर परिषद ने 20 लाख 80 हजार रुपये खर्च कर दिए। जनता की गाढ़ी कमाई की इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी हालात जस के तस हैं। बड़ा सवाल तो यह है कि यह है कि 13 सौ बेसहारा पशु पकड़ने के बाद भी इतने बेसहारा पशु आखिर शहर में फिर आए कहां से क्या सभी पशुओं को नहीं पकड़ा गया था अगर सभी को पकड़ा गया था तो फिर वापस यह पशु शहर में आए कैसे आखिर क्यों जनता की गाढ़ी कमाई को ठिकाने लगा दिया। आज भी सैकड़ों की संख्या में शहर में बेसहारा पशु है इनमें से अधिकांश सांड है। इस मुद्दे को लेकर रिवाड़ी विधानसभा के कांग्रेस विधायक चिरंजीव राव विधानसभा में भी यह मुद्दा उठा चुके हैं साथ ही विधायक मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा चुका हैं लेकिन इसके बावजूद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। कुछ दिन पूर्व ही नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन व वर्तमान में पार्षद विजय राव ने नगर परिषद की बैठक में भी यह मुद्दा उठाया था उन्होंने कहा था कि शहर में गोवंश को छोड़कर जो गाय हैं उनके मालिक हैं मालिक गायों का दूध निकाल कर सड़कों पर छोड़ देते हैं और शाम ढलते ही इन गायों को वापस अपने घरों में ले जाते हैं। कुछ समय पूर्व ही एक युवक स्कूटी लेकर अपनी दुकान से घर जा रहा था तभी दो सांडों की लड़ाई हो गई और एक सांड ने भागते हुए स्कूटी को टक्कर मार दी जिससे युवक की मौके पर ही मौत हो गई लेकिन इसके बावजूद भी नगर परिषद ने कोई सबक नहीं लिया। आज भी नगर परिषद किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही है।