गुरुग्राम मेट्रो रेल लिमिटेड (GMRL) ने पुराने गुरुग्राम मेट्रो के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस परियोजना के तहत, मेट्रो निर्माण के रास्ते में आने वाली 1660 पेड़ों को काटने के लिए वन विभाग से अनुमति मांगी गई है। इनमें से 259 पेड़ सेक्टर-33 में प्रस्तावित मेट्रो डिपो के निर्माण में आ रहे हैं। अधिकांश पेड़ गुरुग्राम महानगर सिटी बस लिमिटेड (GMCBL) के बस डिपो के सामने सेक्टर-10 में उमंग भारद्वाज चौक के पास स्थित हैं।
हालांकि, वन विभाग ने अभी तक GMRL को इन पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं दी है। GMRL के एक अधिकारी के अनुसार, मेट्रो मार्ग के संबंध में पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन का अध्ययन किया गया था, जिसके तहत यह पाया गया कि 1660 पेड़ निर्माण के रास्ते में आ रहे हैं। इनमें से 1401 पेड़ मेट्रो मार्ग और स्टेशन के निर्माण में आ रहे हैं, जो मिलेनियम सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन से साइबर सिटी तक विस्तारित हैं। अधिकांश पेड़ वन क्षेत्र के बाहर स्थित हैं, जबकि सेक्टर-10 में मेट्रो स्टेशन के पास आने वाले पेड़ वन क्षेत्र का हिस्सा हैं।
वन विभाग से अनुमति और प्रक्रियाएं
GMRL ने 19 फरवरी को वन विभाग को पत्र लिखा था, जिसमें पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी गई थी। इसके अलावा, हरियाणा फॉरेस्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड से मेट्रो स्टेशन के पास एंट्री और एग्जिट गेट्स की स्वीकृति भी मांगी गई है। वन विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि उन्हें GMRL द्वारा मेट्रो के लिए पेड़ों को काटने के संबंध में अभी तक कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।
हरियाणा के वन क्षेत्र का हाल
हरियाणा में वन क्षेत्र केवल 6.7 प्रतिशत है, जबकि दिल्ली में यह 21.9 प्रतिशत है। इस स्थिति के बावजूद, राज्य में हर दिन पेड़ों को काटने की अनुमति दी जा रही है। इस विषय पर वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि उन्हें पेड़ों की सुरक्षा का काम करना चाहिए, न कि उन्हें काटने की अनुमति देनी चाहिए। कई पर्यावरणीय संगठन और नागरिक समाज के सदस्य इस मुद्दे पर चिंतित हैं, क्योंकि हरियाणा में पेड़ों की संख्या पहले से ही बहुत कम है और उनकी कटाई से पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
प्रस्तावित मेट्रो मार्ग और स्टेशन
हरियाणा सरकार द्वारा प्रस्तावित मेट्रो मार्ग मिलेनियम सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन से साइबर सिटी तक विस्तारित होगा, और यह हीरो होंडा चौक, सेक्टर-9, पलम विहार, और उद्योग विहार जैसे प्रमुख स्थानों से होकर गुजरेगा। इस 28.5 किलोमीटर लंबे मेट्रो मार्ग के लिए कुल 27 मेट्रो स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा।
इस परियोजना के लिए लगभग 5452 करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है। यह मेट्रो परियोजना गुरुग्राम के विकास को एक नई दिशा देने वाली है और इसे राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक माना जा रहा है। मेट्रो के शुरू होने से शहर में यातायात की समस्या में कमी आएगी, साथ ही प्रदूषण में भी कमी आएगी।
पर्यावरणीय चिंताएं और समाधान
मेट्रो निर्माण की इस प्रक्रिया में पेड़ों की कटाई एक गंभीर मुद्दा बनकर सामने आया है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि पेड़ों की कटाई से न केवल वन्यजीवों के आश्रय स्थानों का नुकसान होगा, बल्कि यह वायुमंडलीय संतुलन को भी प्रभावित करेगा। पेड़ पर्यावरण को शुद्ध करने, कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इसलिए, कई पर्यावरणीय संगठन इस परियोजना के पर्यावरणीय प्रभाव पर सवाल उठा रहे हैं और उनका कहना है कि राज्य सरकार को इस परियोजना को आगे बढ़ाने से पहले एक व्यापक पर्यावरणीय पुनर्वास योजना तैयार करनी चाहिए। पुनर्वास योजना में वह पेड़ और पौधे शामिल होने चाहिए जो कटे हुए पेड़ों के स्थान पर लगाए जा सकें, ताकि प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखा जा सके। इसके अलावा, मेट्रो परियोजना को पूरी तरह से पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों के तहत पूरा किया जाना चाहिए।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
मेट्रो परियोजना का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव भी गहरा हो सकता है। इस परियोजना के अंतर्गत, विशेष रूप से गुरुग्राम जैसे महानगर में, यातायात की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी। मेट्रो की सुविधा से हजारों लोग रोजाना अपनी यात्रा आसानी से कर सकेंगे, जिससे समय की बचत होगी और यातायात की भीड़ कम होगी।
इसके अलावा, मेट्रो के निर्माण से गुरुग्राम और आसपास के इलाकों में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों और तकनीकी विशेषज्ञों के लिए रोजगार मिलेगा। साथ ही, मेट्रो परियोजना के पूरा होने के बाद इसके संचालन में भी कई नए रोजगार सृजित होंगे।
हरियाणा सरकार की यह मेट्रो परियोजना शहर की यातायात व्यवस्था को सुधारने और गुरुग्राम के विकास को गति देने का एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इस परियोजना के तहत पेड़ों की कटाई एक बड़ा पर्यावरणीय मुद्दा बन सकता है, जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार को एक संतुलित और पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित योजना तैयार करनी चाहिए।
पेड़ों की कटाई से होने वाले प्रभावों को समझते हुए, सरकार को पुनर्वास योजनाओं के तहत नए पेड़ लगाने के साथ-साथ मेट्रो निर्माण की प्रक्रिया को पर्यावरणीय सुरक्षा के साथ लागू करना चाहिए। इससे न केवल विकास की दिशा में कदम बढ़ेगा, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन भी बनाए रखा जा सकेगा।

















