रेवाडी: सुनील चौहान। शहर के सरकुलर रोड स्थित निजी अस्पताल में एक माह से उपचाराधीन युवक की मौत के मामले में अब अस्पताल प्रबंधन आगे आया है। अस्पताल ने मृतक के परिजनों के तमाम आरोपों को नकारते हुए कहा कि इलाज की पेमेंट नहीं करने के लिए हंगामे का नाटक किया गया, जबकि दाखिल होने के समय से ही युवक की हालत बेहद नाजुक थी। उन्होंने कहा कि हम कहीं गलत नहीं थे, मगर उन लोगों ने अस्पताल को बदनाम करने की हरकत की है।
धारूहेड़ा क्षेत्र के गांव अलावलपुर में करीब एक माह पूर्व हुए झगड़े के दौरान गांव खिजूरी निवासी राहुल को गंभीर चोटें आई थीं। उसे गंभीर हालत में शहर के सरकुलर रोड पर कानोड गेट के निकट स्थित न्यूरो अस्पताल में भर्ती कराया गया। एक माह उपचार के बाद भी युवक की जान नहीं बच पाई। इस पर परिजनों ने हंगामा करते हुए अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए थे।
उनके आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए अस्पताल संचालक डॉ. एसएन मणिकंदन ने कहा कि उक्त युवक 11 मार्च को हमारे अस्पताल में एडमिट हुआ था। लोगों ने उसे बुरी तरह से पीटा था। उसकी जान जाने वाली थी। इसलिए पीटने वालों पर हत्या की कोशिश की धारा-307 लगी थी।
उसकी इस हालत को देखते हुए ही हमने उसे तुरंत दाखिल कर उपचार शुरू किया तथा उसी वक्त लिखा भी था कि पेशेंट की जान जाने का खतरा है। दो दिन में दिमाग में सूजन बढ़ने के बाद मेजर ऑपरेशन करना पड़ा। इस तरह के ऑपरेशन का खर्च लाखों रुपए आता है, लेकिन वह मरीज करीब एक माह तक हमारे अस्पताल में रहा।
उसका साढ़े 8 लाख रुपए का बिल बना। इसमें से भी साढ़े 6 लाख रुपए इंश्योरेंस का भुगतान करना था। उस पर भी साइन नहीं किए गए। पेशेंट की ओर से केवल एक लाख रुपए जमा कराए गए थे, जबकि एक लाख रुपए और भी पेंडिंग हैं। ये सब पेमेंट नहीं करना पड़े, इसलिए इतना नाटक रचकर हंगामा किया गया। 15 लाख रुपए लेने के आरोप पूरी तरह निराधार हैं।
डॉ. एसएन मणिकंदन,अस्पताल संचालक