
राजस्थान में आजकल भयंकर बीमारी आई हुई है। इस बीमरी की चपेट में बच्चे ही नही बुजुर्ग भी आ रहे हैं। शहर में घुल रह मीठे जहर को रोकने के लिए प्रशासन ने बेबस बना हुआ है। अगर समय रहते इसे बीमारी का लेकर गंभीर नहीं हुए तो इसके परिणाम भयानक होगा।
देश में चार साल पहले कोरोना ने कहर मचाया था। लेकिन राजस्थान मे एक बार एक ऐसी बीमारी आ रही है जो लोगो को जीवन लीला छीन रही है। बता दे कि राजस्थान में वायु प्रदूषण का असर तेजी बढ़ता जा रहा है। यही धुआं मीठा जहर बना हुआ है जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो रहे हैं।
तेजी से बढ रहा प्रदूषण जान लेवा बना हुआ है। राजस्थान मे हो रही बारिश के बावजूद प्रदूषण कम नहीं हो रहाह हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार वायु प्रदूषण कार्डियक रोगों का जोखिम 40 प्रतिशत और श्वसन रोगों का जोखिम 70 प्रतिशत बढ़ा रहा है। इतना ही नहीं वायु प्रदूषण से फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज़ (सीओपीडी), और दिल से जुड़ी अन्य समस्याएं, फेफड़ों का कैंसर और त्वचा कैंसर तेजी से बढ रहा हैं
रिपोर्ट में हुआ खुलासा: हाल में 21 शहरों में फैले वायु प्रदूषण की रिपोर्ट में सामने आया है कि राजस्थान में भिवाड़ी सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है। इतना नही इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कोविड से ज्यादा मौतें तो वायु प्रदूषण के वजह से हो रही हैं। तेजी से बढ रहा वायु प्रदूषण की चपेट में आकर छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक बीमारी झेल रहे है।
बता दे कि भारत में वायु प्रदूषण के कारण श्वसन मृत्यु दर दुनिया में सबसे अधिक है । इतना ही नहीं घरेलू वायु प्रदूषण में हमारा देश नंबर वन है। अगर आंकडो पर नजर दौडए तो राजस्थान श्वसन विकारों में टाप पर है।
नहीं थमा धुआ: भले की लकडी व कोयले की जगह को सिलेंडर ने ली है लेकिन आज भी गावो में महिलाएं ठोस ईंधन का उपयोग करती है। पीएम उज्ज्वला योजना के तहत कई परिवारों ने गैस कनेक्शन ले लिया, लेकिन फिर भी ठोस ईंधन को सस्ता और आसानी से उपलब्ध मानते हुए इसका उपयोग नहीं थम रहा है।
प्रदूषण का ये बताया कारण: हाल में जारी की गई रिपोर्ट को तैयार करने वाले पैनल में शामिल राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने साफ कहा कि कि उद्योगों की संख्या में वृद्धि को रोका नहीं जा सकता है, क्योंकि शहर को विकास की आवश्यकता है।
लेकिन उद्योगो मे निकलने वाले धुए को लेकर न तो प्रबंधन व न ही प्रशासन गंभीर है। बिना जांच किए रिपोर्ट सही दिखाई जा रही है जबकि धरातल पर कुछ ओर ही स्थिति है।
हालांकि, नियमित निरीक्षण, दंड़ और प्रदूषणकारी इकाइयों को बंद करने जैसे उपाय कागजो मे दम तोउ रहे है। सीमेंट, रासायनिक और खतरनाक कचरा प्रसंस्करण इकाइयां भिवाड़ी की सबसे प्रदूषणकारी बनी हुई।