Mahakumbh: मेले की अलौकिक छटा बनी अविस्मरणीय, भीड़ का टूटा रिकॉर्ड

यहां लोग पापों के क्षय और पुण्य की प्राप्ति के लिए ज्यादा आते हैं ।
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Mahakumbh:  कुम्भ में भीड़ का रिकॉर्ड टूटने को है। इसे पहले महाकुंभ में करीब 25 करोड श्रद्धालु आए थे। जबकि इस बार यह रिकोर्ड टूटने वाला है।

बता दे कि बारह वर्ष के समय को एक युग माना जाता है। आस्था के चलते एक युग बीतने के बाद गंगा-यमुना के संगम में श्रद्धालु स्नान करते हैं। इतना ही धर्म के चलते लोग सत्संग और दान भी करते हैं।

Mahakumbh वैसे तो अब सभी हिन्दू तीर्थस्थलों पर बहुत भीड़ होती है लेकिन यहां लोग पापों के क्षय और पुण्य की प्राप्ति के लिए ज्यादा आते हैं । इस बार उम्मीद है कि कुम्भ के मेले में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आने वाले हैं। हालाकि पहले अमृत स्नान करीब डेढ करोड ने डूबकी लगाई है। जबकि यह मेला फरवरी तक चलेगा।

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जब देश आजाद हुआ था तो उस समय कुभ के मेले में डेढ़ करोड़ श्रद्धालु आए थे जबकि उस समय संचार की सुविधा भी बेहतर नहीं थी। उससे बाद मेले में 15 करोड़ तथा तीसरी बार लगभग 25 करोड़ श्रद्धालु आए थे। वही इस बार यानि 2025 में सारे रिकोर्ड टूटने वाले है।

 

5 लाख करोड़ रुपये का होगा कारोबार : मेले मे अथाह भीड उमड रही है। लोगो का कहना है लगभग 5 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा। सुबह से ही प्रयागराज की सड़कों पर वाहनों व पैदल यात्रियों का रेला दिखने लगा।

दोपहर में बारिश होने से लोग इधर-उधर छांव तलाशते ठिठके जरूर लेकिन बूंदाबांदी थमते ही फिर सड़कों पर दिखे। चारो ओर जाम की स्थिति बनी रही। बढती भीड के चलते संभालन को लेकर पुलिस के पसीने-पसीने छूट रहे है।

महाकुंभ के प्रमुख आयोजन

  • अखाड़ों का प्रदर्शन: बता दे महाकुभ मेंल में साधु-संतों के विभिन्न अखाड़े अपने धार्मिक अनुयायियों के साथ जुलूस निकालते हैं।
  • धार्मिक प्रवचन और अनुष्ठान: मेले के त्इस दौरान संतों के प्रवचन, यज्ञ, हवन और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
  • आध्यात्मिक संगम: यह मेला विविधता में एकता का प्रतीक है, जहां देश-विदेश के लोग एकत्र होते हैं। इस बार पिछले बार से ज्यादा विदेशी लोग आए हुए है।
  • शाही स्नान का आध्यात्मिक संदेश: महाकुंभ और शाही स्नान केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं हैं, बल्कि यह आस्था, भक्ति और मानवता के संगम का प्रतीक हैं।

NAGA
जानिए कब है शुभ यानि अमृत स्नान

Paush Purnima पौष पूर्णिमा- 13 जनवरी
Makar Sankranti मकर संक्रांति- 14 जनवरी
Mauni Amavasya मौनी अमावस्या- 29 जनवरी
Basant Panchami बसंत पंचमी- 3 फरवरी
Maghi Purnima माघी पूर्णिमा- 12 फरवरी
Mahashivaratri महाशिवरात्रि- 26 फरवरी

लाठियां लहराते हुए उनका युद्ध कौशल पौरुष और पराक्रम का प्रतीक था। जो समर्पण अखाड़ों का अपनी धर्मध्वजा और इष्टदेव के प्रति था, वही भाव राष्ट्र ध्वज तिरंगा के लिए भी दिखा। इससे संगम क्षेत्र की अलौकिक छटा अविस्मरणीय बन गई।