Haryana news: खेती और बागवानी के क्षेत्र को उन्नत और लाभदायक बनाने के लिए 10 देश एक साथ काम करेंगे। भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मंगोलिया, म्यांमार, फिलीपींस, श्रीलंका और ताजिकिस्तान जैसे देश इस नए प्रयास में शामिल हुए हैं। इस परियोजना में जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) का विशेष सहयोग मिलेगा।
JICA की मदद से बागवानी विशेषज्ञ किसानों की आय बढ़ाने के लिए कार्य करेंगे। इस परियोजना में भारत की ओर से पानीपत के जिला बागवानी अधिकारी डॉ. शार्दूल शंकर, भिवानी से डॉ. देवी लाल और राजस्थान कृषि विभाग से देवी शिल्पा व डॉ. भंवर लाल मीणा को शामिल किया गया है।
फसल कैलेंडरिंग पर होगा काम
फसल कैलेंडरिंग को तैयार करने के लिए सबसे पहले बेसलाइन सर्वेक्षण किया जाएगा। इसमें सभी 10 देशों के बागवानी विशेषज्ञ फसल कैलेंडरिंग पर काम करेंगे। जमीनी स्तर पर जाकर किसानों और बाजार समिति के अधिकारियों से जानकारी जुटाई जाएगी।
सर्वेक्षण में क्या-क्या होगा शामिल?
- यह पता लगाया जाएगा कि बाजार में पहुंचने वाली बागवानी फसलों की कौन-सी गुणवत्ता को सबसे अच्छा दाम मिलता है।
- किस समय किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलता है।
- किसान किस फसल को कितने क्षेत्र में उगाते हैं।
यह सर्वेक्षण फसल कैलेंडरिंग की तैयारी के लिए इनपुट का काम करेगा।
विशेषज्ञों की टीम करेगी डाटा का विश्लेषण
जमीन से डाटा जुटाने के बाद विशेषज्ञों की टीम उसका विश्लेषण करेगी। इसके बाद फसल कैलेंडरिंग को एक प्रारंभिक रूप दिया जाएगा। जब यह पूरी तरह तैयार हो जाएगा, तो किसान इसी कैलेंडर के अनुसार बागवानी करेंगे।
यह कैलेंडर किसानों को बताएगा कि किस फसल को कब और कितने क्षेत्र में लगाना है। इससे किसानों को खेती से लेकर फसल बाजार तक का एक सुरक्षित वातावरण मिलेगा।
उच्च गुणवत्ता के बीजों की होगी उपलब्धता
फसल कैलेंडरिंग के तैयार होने तक किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराए जाएंगे। ये बीज उत्पादन की गारंटी देंगे, जिससे किसानों को किसी प्रकार की धोखाधड़ी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
जापान की JICA एजेंसी की मदद से यह कार्य बारीकी से किया जाएगा। इससे न केवल किसानों को बेहतर उत्पादन मिलेगा, बल्कि उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों के लिए भटकना भी नहीं पड़ेगा।
फलों और सब्जियों की कीमतें स्थिर रहेंगी
जब किसान फसल कैलेंडरिंग के अनुसार फल और सब्जियों की बुआई करेंगे, तो उनकी कीमतें पहले ही तय हो जाएंगी। यह 90 प्रतिशत तक सुनिश्चित होगा कि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा।
मांग और आपूर्ति का गणित रहेगा नियंत्रित
फसल कैलेंडरिंग से यह जानकारी पहले ही मिल जाएगी कि आलू, प्याज, धनिया, मटर, सेब, केला और संतरा जैसी फसलों का क्षेत्रफल क्या है। सभी फसलों की बुआई संतुलित तरीके से होगी, जिससे कीमतें स्थिर रहेंगी।
परियोजना सफल रही तो बढ़ेगा क्षेत्रफल
साल 2021-22 में बागवानी 28.04 मिलियन हेक्टेयर में की गई थी, जिससे 347.18 मिलियन टन उत्पादन हुआ। 2022-23 में यह क्षेत्रफल 28.44 मिलियन हेक्टेयर हो गया, लेकिन उत्पादन 344.48 मिलियन टन हुआ। 2023-24 में क्षेत्रफल बढ़कर 28.77 मिलियन हेक्टेयर हो गया और उत्पादन 355.25 मिलियन टन तक पहुंचा।
किसानों का रुझान बढ़ेगा
यदि यह परियोजना सफल होती है, तो अधिक किसान बागवानी की ओर रुख करेंगे। इससे न केवल भारत में उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि अन्य देशों की जरूरतें भी पूरी की जा सकेंगी।
बागवानी में आएगी क्रांति
इस परियोजना से बागवानी के क्षेत्र में क्रांति आएगी। किसानों को न केवल बेहतर बीज मिलेंगे, बल्कि उनकी आय भी बढ़ेगी। साथ ही, फसल कैलेंडरिंग के माध्यम से फसल की मांग और आपूर्ति का सही संतुलन बनाए रखा जाएगा।
यह परियोजना किसानों के लिए वरदान साबित होगी और खेती को अधिक संगठित और लाभदायक बनाएगी।