Mahakumbh 2025: महाकुंभ में देश ही नहीं इस बार दुनिया भर के साधु-संत और श्रद्धालु पांच अमृत स्नान करेंगे। इसी के साथ ही इस बार महाकुंभ का शाही अमृत स्नान इस बार अतीत के पन्नों में दर्ज हो जाएगा । इस बार महाकुंभ के साथ ही अमृत स्नान की शुरूआत होगी।
कई वर्षो के बाद इस बार महाकुंभ में दुनिया भर के साधु-संत और श्रद्धालु पांच अमृत स्नान करेंगे। संगम के तट पर शाही स्नान की शुरुआत मकर संक्रांति पर 14 जनवरी को पहले अमृत स्नान के साथ होगी तथा 26 फरवरी को होगी।
जानिए इसका क्या है साक्ष्य: बता दे कि इतिहासकारों के अनुसार सम्राट हर्षवर्धन के समय से प्रमाण मिलते हैं। इसके बाद शंकराचार्य और उनके शिष्यों द्वारा संन्यासी अखाड़ों के लिए संगम तट पर शाही स्नान की व्यवस्था की गई थी।
महाकुंभ के साक्ष्य 850 साल से भी पुराने बताए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि शंकराचार्य ने इसकी शुरूआत की थी और पुराणों में इसका वर्णन समुद्र मंथन से मिलता है।
इतना ही नहीं चीनी यात्री ह्वेनसांग जब अपनी भारत यात्रा पर आए थ उसक समय भी कुंभ मेले के आयोजन का जिकर किया गया है।
- पहला अमृत स्नान: बता दे कि कुभ में 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर पहली बार दुनिया त्रिवेणी के तट पर अमृत स्नान करेगी। ना भूतो ना भविष्यति की तर्ज पर त्रिवेणी का संगम सनातन के इतिहास में नया अध्याय जोड़ेगा।
- दूसरा अमृत स्थान: दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर होगा
तीसरा अमृत स्नान : बता दे कि 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा पर होगा
अंतिम अमृत स्नान : अंतिम स्नान महाशिवरात्रि पर 26 फरवरी को होगा।
UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शाही स्नान का नाम बदलकर इस बार इसे अमृत स्नान का नाम दिया है। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि यह सनातन के अभ्युदय का काल है।शैव, शाक्त और वैष्णव संप्रदाय के साधु-संत संगम में पहली बार अमृत स्नान के लिए प्रवेश करेंगे।
महाकुंभ में त्रिवेणी के संगम से अमृत स्नान की शुरूआत एक नया अध्याय लिखेगी। हालांकि पौष पूर्णिमा पर त्रिवेणी के संगम में स्नान, दान और पुण्य की शुरूआत हो जाएगी।
नागा साधु करेंगे स्नान की शुरुआत
महाकुंभ में अमृत स्नान की शुरुआत नागा साधु करेंगे। सदियों से महाकुंभ में सबसे पहले नागा साधु ही शाही स्नान आरंभ करते थे। इसके बाद ही गृहस्थ लोग स्नान करेंगे।
जानिए कितने साल बाद आता है महाकुंभ
- अर्ध कुंभ : हर छह साल में हरिद्वार और प्रयागराज में होता है। इसे कुंभ का आधा चक्र माना जाता है।
- कुंभ : हर 12 साल में चार स्थलों – हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में कुंभ आयोजित होता है।
- पूर्ण कुंभ : हर 12 साल में प्रयागराज में आयोजित होता है। इसे कुंभ का पूर्ण रूप माना जाता है और इसका महत्व अन्य कुंभ मेलों से अधिक है
- महाकुंभ : भारतीय धार्मिक आयोजनों का सबसे बड़ा पर्व है, जो 12 पूर्ण कुंभ के बाद हर 144 साल में प्रयागराज में आयोजित होता है। इसे सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण रूप माना जाता है