साइबर ठगों के घरों के अंदर एटीएम: रोजाना लाखों की निकासी, जानिए कैसे होती है ठगी

अलवर: मेवात के साइबर ठगाें के घराें में ही ठगी की सभी सुविधाएं हैं। यहां गांवड़ी गांव में 6 एटीएम व लेन-देन करने वाली पॉस मशीनें घरों के अंदर लगी हैं। एटीएम वक्रांगी व अन्य प्राइवेट कंपनियों के हैं। एक पर तो स्टेट एटीएम का बोर्ड है। हर एटीएम से रोज 5 लाख रु. तक की निकासी होती है। ठग वारदात के बाद राशि यहीं से निकालते हैं। क्षेत्र में न कोई उद्योग है, न बड़ा व्यापार।

फिर भी पैसा कहां से आता है, जवाब बैंक भी नहीं देता। कुछ समय पहले पंजाब पुलिस अपने जवान के ठगे जाने पर यहां आई तो लोगों ने बंधकमेवात के इन गांवों में हर घर के बाहर 15 साल के किशोर से लेकर 50 साल तक के अधेड़ मोबाइल लिए कुछ करते दिखे।

क्षेत्र के लाेगाें का कहना है- ठग हैं। एक ही समुदाय के हैं। सियासी संरक्षण प्राप्त है। ये लोग कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली आदि के लोगों को ज्यादा ठगते हैं। वहां की पुलिस आ भी जाए तो उसकी कोई मदद नहीं करता।

मेवात के ठगों के 5 पैंतरे
1. ओएलएक्स/सोशल साइट्स पर कार, बाइक, माेबाइल बेचने का विज्ञापन डालकर।
2. फर्जी आईडी से सैनिक बनकर।
3. पाेर्न फिल्म दिखाकर ब्लैकमेलिंग।
4. केवाईसीबंद बता 10 रु. का रीचार्ज।
5. क्लोन आईडी से आर्थिक मदद लेते हैं। बनाकर पीटा। रिपोर्ट लिखने के बजाय पुलिस को माफीनामा लिखकर लौटना पड़ा।

पाॅस मशीन व एटीएम वालों की मिलीभगत : एसपी

यहां के ठगों की शिकायत तभी आती है, जब मोटी रकम ठगी गई हो। ये लोग बल्क में दूसरे राज्यों से सिम लाते हैं। यहां एक्टिव करते हैं। इससे रूट पता नहीं चलता। संभव है पाॅस मशीन, एटीएम वाले भी इनसे मिले हों। -देवेंद्र विश्नोई, पुलिस अधीक्षक, भरतपुर
घरों में एटीएम लगाना नियम विरुद्ध : मैनेजर गांवों में बैकिंग को बढ़ावा देने के लिए प्राइवेट कंपनियों ने ऐसे स्थानों पर एटीएम व वीसी पाइंट दिए है, जहां सीधे तौर पर बैंक काम नहीं कर रहे हैं। घरों में एटीएम लगाने का नियम नहीं है। सरकारी बैंक हिट्स के आधार पर ही एटीएम लगाने का निर्णय लेता है। -बबलू लांबा, चीफ मैनेजर, पीएनबी मंडल कार्यालय, अलवर