भिवाड़ी फायरिंग प्रकरण : कनाड़ा में बैठे गोल्डी ने यशपाल को करवाए थे हथियार उपलब्ध, जानिए कौन है गोल्डी

क्या खाक मजा है जीने में जब तक आग न लगी हो दुश्मन के सीने में… अलवर/ रेवाडी: भिवाड़ी में रंगदारी के लिए अलग-अलग प्रतिष्ठानों पर हुई फायरिंग की तीनों वारदातों में विदेशों में बैठे बदमाशों का लिंक भी सामने आया है। विदेश में छुपे बदमाश वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) के जरिए विभिन्न एप के माध्यम से फेक नंबर प्राप्त कर भारत में बैठे बदमाशों के संपर्क में रहते हैं। गायत्री सुपर बाजार की वारदात में भी एक ऐसे ही बदमाश गोल्डी बरार का नाम सामने आया है। जो कनाडा में बैठकर भारत में अपनी गैंग संचालित कर रहा है। इससे पहले की दो वारदातों में अमित डागर का लिंक दुबई में बैठे किसी पंकज भाई के नाम के बदमाश से पुलिस को मिला था। शनिवार को भिवाड़ी में पुलिस जब वारदात के खुलासे की तैयारी कर रही थी, उससे करीब डेढ़ घंटे पहले बरार ने अपने फेसबुक पर पोस्ट डालकर लिखा- क्या खाक मजा है जीने में जब तक आग न लगी हो दुश्मन के सीने में। इससे पहले भी वह पंजाब की गैंगवार से संबंधी पोस्ट अपने वाल पर पोस्ट करता रहा है। गैंग कनेक्शन जानिए कैसा था: गोल्डी बरार कनाडा में बैठकर लॉरेंस विश्नोई और काला जठेड़ी गैंग को ऑपरेट करता है। इसके लिंक अन्य गैंग से भी सतत हैं। अभी इसका दायरा पंजाब और दिल्ली तक बताया जाता है। पिछले साल गोल्डी बरार के चचेरे भाई की चंडीगढ़ में हत्या कर दी गई थी। जिसका बदला लेने के लिए उसने फरीदकोट यूथ जिला कांग्रेस के प्रधान गुरलाल पहलवान की फरवरी में हत्या कराई थी। इस हत्याकांड में उसकी मदद यशपाल चौधरी ने भी की थी। इस नाते गोल्डी, यशपाल का अहसान मानता है। चांद गुर्जर का यशपाल से सीधा लिंक है। यशपाल के बुआ के लड़के संजू की हत्या करने वाली जॉनी-मोनी गैंग के जॉनी की हत्या करने में चांद मदद कर चुका है। इस नाते यशपाल उसका अहसान मानता है। चांद और गोल्डी के बीच संपर्क की कड़ी यशपाल ही है। पुलिस की मानें तो भिवाड़ी फायरिंग प्रकरण में कनाड़ा में बैठे गोल्डी ने यशपाल को हथियार उपलब्ध कराने में मदद की थी। वह यशपाल से इंटरनेट कॉलिंग के जरिए संपर्क में रहता था। इसके लिए वह वीपीएन के मार्फत अलग-अलग एप से वर्चुअल नंबर प्राप्त करके व्हाट्सएप जैसे अन्य कॉलिंग एप पर अकांउट बनाता और फिर इंटरनेट कॉल करता। भिवाड़ी में 7 अक्टूबर काे गायत्री सुपर बाजार पर फायरिंग की वारदात का शनिवार को पुलिस ने खुलासा कर दिया। फायरिंग करने वाले दोनों शॉर्प शूटर सहित सात जनों को गिरफ्तार किया गया है। 50 लाख रुपए की रंगदारी मांगना भी सामने आया है। वहीं पुलिस का दावा है कि मुख्य मास्टरमाइंड चांद गुर्जर ने उक्त वारदात को रंगदारी के लिए नहीं बल्कि हरियाणा की भौंडसी जेल से राजस्थान की किसी जेल में शिफ्ट होने के लिए अंजाम दिलाया था। इन बदमाशों के कनाडा में बैठे कुख्यात गैंगस्टर से तार जुड़े हुए सामने आए हैं। जबकि बदमाशों को शरण देने के मामले में पिलानी के डिफेंस एकेडमी संचालक को भी गिरफ्तार किया है। एसपी राममूर्ति जोशी ने बताया कि गायत्री सुपर बाजार की वारदात के खुलासे में जिला स्पेशल टीम-1 (डीएसटी) की महत्वपूर्ण भूमिका रही। दो बदमाशों ने दुकान पर फायरिंग जरुर की लेकिन वारदात में उस दिन तीन जने शामिल थे। डीएसटी ने घटना के तीसरे दिन ही फायरिंग करने वाले बदमाशों की पहचान कर ली थी। इसमें तकनीक से ज्यादा ग्राउंड इनपुट महत्वपूर्ण रहा। वारदात का मुख्य मास्टरमाइंड चांद गुर्जर उर्फ चांदराम (26) निवासी मुण्डनवास था। जिसने अपने साथ भौंडसी जेल में बंद हरवीर प्रधान (30) निवासी बार गुर्जर के सहयोग से शॉर्प शूटरों को फायरिंग के लिए भिवाड़ी भेजा। मामले में उक्त दोनों बदमाशों सहित फायरिंग करने वाले शॉर्प शूटर राजेन्द्र उर्फ गदर (20) निवासी अकबरपुर यूपी हाल विकासनगर नई दिल्ली व चिराग (19) निवासी विकासनगर नई दिल्ली को तथा सहयोग करने वाले मनजीत (22) पुत्र जगवीर जाट निवासी सुरखपुर झज्जर, दीपक (21) निवासी पातली गुरुग्राम व यशपाल (26) निवासी मउ थाना पटोदी को गिरफ्तार किया है। वारदात में प्रयुक्त अपाचे बाइक व एक पिस्टल कारतूस सहित बरामद की है। कहीं रची साजिश, कहीं हो रहा अपराध भौंडसी जेल में बंद चांद, हरवीर व अनिल पंडित ने यहां से निकलने के लिए भिवाड़ी में फायरिंग करने की साजिश रची। 23 सितम्बर को गुरुग्राम में पेशी के दौरान चांद ने फरीदकोट (पंजाब) जेल से आए यशपाल से मिलकर पूरी प्लाङ्क्षनग बताई। यशपाल जो कि फरीदकोट जेल में बैठकर मोबाइल के जरिए अपनी गैंग के संपर्क में रहता है, ने पहले भिवाड़ी में रैकी कराई और फिर सोशल मीडिया के जरिए फायरिंग के लिए दो गुर्गे तलाशे। चिराग व राजेन्द्र उर्फ गदर जिन्हें कर्जा चुकाने के लिए रुपयों की जरुरत थी, फायरिंग करने को तैयार हो गए। यशपाल ने जेल में बैठे-बैठे मंजीत व दीपक के जरिए इन्हें हथियार व वारदात के बाद छुपने के लिए ठिकाने की व्यवस्था कराई। 3 अक्टूबर को दीपक दिल्ली से फरुखनगर आया और अपने गांव पातली में दोनों शूटरों को रखा। 6 अक्टूबर को दीपक धारुहेड़ा में दो पिस्टल व राउंड देकर दोनों शूटरों को छोड़कर चला गया। 6 को ही बदमाशों को फायरिंग करनी थी लेकिन वो गायत्री सुपर बाजार की लोकेशन देखकर धारुहेड़ा के पैराडाइज स्टे गेस्ट हाउस में रुक गए और अगले दिन 7 अक्टूबर को सुपर बाजार पर फायरिंग कर दिल्ली निकल गए। वहां से दोनों को छुपने के लिए पिलानी भेजा गया। जहां उन्हें छोटूराम मेमोरियल डिफेंस एकेडमी के संचालक मंजीत जाट ने एकेडमी में ही ठहरा लिया। झुंझुनू पुलिस के सहयोग से दोनों शॉर्प शूटर व मंजीत को डीएसटी ने एकेडमी से दबोचा।